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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palसभी के जीवन की एक अपनी कहानी होती है, जिसे वो पन्नों पर उतारते है, पर मेरी ऐसी कोई खास कहानी नहीं है, ये मेरे पिछले दो साल का सफर है, जिसे मैंने अपनी इस पुस्तक "शाश्वतता" में दर्शाने का प्रयास किया है। "शाश्वतता" नाम मुझे मेरी पुस्तक के लिए इसीलिये सही लगा क्योंकि इसका मतलब है निरंतर चलने वाला और कविताएं हमारे जीवन एक ऐसा भाग है जो बचपन से लेकर पूरी जीवन भर हमें पढ़ने को मिलती है इसका कोई अंत नहीं है, चाहे वह कविता श्रृंगार रस की हो, वीर रस की हो या किसी सामाजिक मुद्दे पर हो।
"शाश्वतता" में मैंने हर विषय पर कविताएं लिखी हैं, जो निरंतर चलेगा चाहे वो प्रेम भाव के बारे में हो, श्रृंगार के बारे में हो, सदा रहने वाले उस समाज के बारे में में हो और कुछ लोग जो सदा हमारे मन में रहेंगे उनके बारे में हो, मैंने इन सभी के बारे में लिखने कि कोशिश की है।
आशा करता हूँ कि आप सभी को मेरी लिखी यह कविताएं अवश्य पसंद आएंगी।
सिद्धार्थ राज
सिद्धार्थ राज का जन्म 16 अगस्त, 1997 को बिहार के जिला वैशाली, गांव हौजपुरा में हुआ था। प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा पटना में हुई है। अभी सिद्धार्थ मगध विश्वविद्यालय से हिन्दी में बी.ए. की पढ़ाई कर रहे है। साथ ही साहित्य प्रेमी हैं साहित्य पढ़ते हैं और लिखते हैं तथा कविता के संग संग यह गीत तथा कहानियाँ भी लिखते हैं।
इनकी रुचि बचपन से ही साहित्य में रही है बचपन से ही यह स्वर्गीय सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" रामधारी सिंह "दिनकर", मैथिलीशरण गुप्त तथा हरिवंशराय बच्चन की कविताओं को पढ़ते और गाते रहें हैं। उन्हीं से सिद्धार्थ को लिखने की प्रेरणा मिली है। वैसे तो किसी भी विषय पर यह रचना कर सकते हैं परंतु इनकी रुचि श्रृंगार रस तथा सामाजिक विषयों में लिखने में अधिक है क्योंकि इन्होंने बहुत कम उम्र में ही जीवन के बहुत से अनुभव प्राप्त किये हैं। सिद्धार्थ लोगों को पहचानने में कभी भूल नहीं करते हैं।
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