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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palयह पुस्तक केवल सरल हृदय वाले व्यक्ति ही पढ़ें, तथाकथित दिमागदार कृपया इससे दूर रहें। इस पुस्तक की कहानियाॅं अपने नाम के अनुसार ही सिरफिरी हैं। ये केवल इस पुस्तक तक ही सीमित हैं जिन्हे पढ़कर तुरंत भुला देना उचित है, हालांकि पाठक चाहें तो मनोरंजन के लिए इसे दिल की स्मृतियों में रख सकते हैं। दिल की स्मृतियों में रखने के लिए लेखक से किसी प्रकार की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है और न ही इसे काॅपीराइट का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे व्यक्ति जो किन्हीं मनगढंत और सिरफिरी कहानियों को भी किसी नाम, वर्ण, व्यवसाय, स्थान, घटना, जीवित-मृत व्यक्ति या राजनीति से जोड़ देते हैं, वे कृपया अपनी इस क्षमता का प्रयोग इन कहानियों को पढ़ते समय या उसके बाद न करें तो बड़ी कृपा होेगी।
पुस्तक की इन सिरफिरी कहानियों को लिखते समय बिल्कुल भी प्रयत्न नहीं किया गया है कि कोई गंभीर-हास्य पैदा हो, लेकिन यदि भूलवश यह उत्पन्न हो जाए तो क्षमाप्रार्थी हॅूं।
ग्यारह सिरफिरी कहानियों को जिन्हें ग्यारह मनगढंत कहानियाॅं भी कहा जा सकता है का, एक-दूसरे से कोई संबंध न होते हुए भी ये एक दूसरे से संबंधित हैं। ये ग्यारह सिरफिरी कहानियाॅं मृदंग, हैलीकाॅप्टर, मच्छर, गूढ़-ज्ञान, जादू, दृष्टा, कान, फैसला, जेन्टलमैन-शहर, दयालुता और वेतनवृद्धि हमारे प्रिय पाठकों को समर्पित हैं।
डाॅ. अभिषेक श्रीवास्तव
जबलपुर(मध्यप्रदेश),निवासी डाॅ. अभिषेक श्रीवास्तव, द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेन्ट ऑफ इंडिया से प्रमाणित लेखा तकनीशियन हैं। एम.काॅम ई-काॅमर्स से, पी.जी.डी.सी.ए. एवं एम.एससी. कम्प्यूटर साइंस से पूर्ण करने के उपरांत लेखन की दुनिया में इन्होंने कदम रखा और वर्तमान दौर के भारतीय लेखकों में भी अपना एक स्थान बना चुके हैं। यह उनकी 14वीं किताब है। लेखक अपने पिता डाॅ. संत शरण श्रीवास्तव को प्रेरणास्रोत मानते हैं।
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