प्रस्तुत काव्यसंग्रह 'सुनाओ फिर से गीता' कर्म, भक्ति एवं ध्यान योग पर लिखी कविताओं का संग्रह है। वर्तमान काल मे जब मानव के पास कठिन जीवन के विभिन्न आयामों में संतुलन बनाने की महती जिम्मेदारी हो तो गीता के शास्वत सूत्रों की जरूरत और सार्थकता और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इन्ही बातों को ध्यान में रख कर संग्रह की प्रतिध्वनित पहली कविता को ही शीर्षक के रूप में लिया गया है। हर कालखंड में गीता प्रासंगिक है क्योंकि हर व्यक्ति के भीतर एक अर्जुन बैठा है, जो जीवन के पड़ावो को