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Valued in Dalit empowerment. Role of Kanshi Ram / दलित सशक्तीकरण में मान्य. कांशीराम की भूमिका

Author Name: Dr.deepak Johnson | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

जात-पांत से ऊपर उठकर आदमी को आदमी की तरह देखने का विनम्र निवेदन संत कवियों की वाणियों में देश का दलित पिछड़ा समाज सदियों से करता आ रहा है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने ठीक यही बात अधिकार और कर्तव्य की आधुनिक शब्दावली मे कही है लेकिन सर्व स्वमूलक भारतीय समाज पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिला पिछले दो दशकों में इसी विमर्श ने कांशीराम के वैचारिक और सांगठनिक नेतृत्व में नया आकार लिया पहली बार देश के दलितों अति पिछड़ों को एक आक्रामक भाषा मिली एक क्रम में आते-आते यह प्रक्रिया धुंधला सी गई है लेकिन इसकी अब तक की उपलब्धियों को याद करने का समय यही है अब कांशीराम हमारे बीच नहीं है।

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डॉ.दीपक जॉनसन

डॉ. दीपक जॉन्सन

डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर (मध्यप्रदेश) से एम ए राजनीति विज्ञान विषय में (1992 प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण) एमए (इतिहास) डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर (1995) इसी विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रकाशन विभाग से "दलित सशक्तीकरण में मान्य. कांशीराम की भूमिका" विषय से 2012 में डॉ.ऑफ फिलॉसफी (पी-एच.डी.) की उपाधि प्राप्त की। एवं एम.फिल देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर (1997) ,एम.ए. (हिंदी साहित्य) देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर उपाधि प्राप्त की। आपने कई वर्षों तक विभिन्न संस्थाओं में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का अध्यापन कार्य किया है।

आपके शोध-पत्र अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। आपने विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठियों में भी सहभागिता की है।

प्रकाशित पुस्तकें - राजनीति शास्त्र एवं इतिहास : यशराज प्रकाशन इन्दौर

सम्प्रति:शासकिय कला एवं वाणिज्य महाविद्ययालय सागर जिला सागर के राजनीति विज्ञान विभाग में 'सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत् हैं ।

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