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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palडॉ. हरिशंकर सेन डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (मध्य प्रदेश) से एम ए राजनीति विज्ञान (2002) प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण; इसी विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान विषय से 2013 में पी-एच. डी. की उपाधि प्राप्त की। इसके अतिरिक्त आपने पोस्ट ग्रRead More...
डॉ. हरिशंकर सेन डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (मध्य प्रदेश) से एम ए राजनीति विज्ञान (2002) प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण; इसी विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान विषय से 2013 में पी-एच. डी. की उपाधि प्राप्त की। इसके अतिरिक्त आपने पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन समाज कल्याण और विस्तार ,योग्यता भी प्राप्त की है। आपने कई. वर्षों तक विभिन्न संस्थाओं में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का अध्यापन कार्य किया है।
आपके शोध-पत्र अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। आपने विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठियों में भी सहभागिता की है।
सम्प्रति : शासकिय कन्या महाविद्ययालय बीना जिला सागर के राजनीति विज्ञान विभाग में स्नातक विद्यार्थियों के अध्यापनरत हैं।
देश और उसके युवाओं के चरित्र की पहचान उस देश के गायन संगीत से होती है और गीत समाज का दर्पण होता है गीत समाज में सवाद का एक ऐसा माध्यम है जो दिल और दिमाग को झकजोर देता है। ये उदासी और
देश और उसके युवाओं के चरित्र की पहचान उस देश के गायन संगीत से होती है और गीत समाज का दर्पण होता है गीत समाज में सवाद का एक ऐसा माध्यम है जो दिल और दिमाग को झकजोर देता है। ये उदासी और निराशा के माहौल में संजीवनी का काम करते है। ये इतनी गहराई तक असर करते हैं कि मन अपने आपको रोक नहीं पाता। गीतो के माध्यम से कठिन चीज आसानी से सिखाई जा सकती है। गीतों के माध्यम से एक निश्चित समय मे मनः स्थिति में परिवर्तन जरूर होता है। अगर इस मन के परिवर्तन को क्रियान्वित किया जा सके और स्थिर रखा जा सके तो सदभाव और लोक केन्द्रित विकास की दिशा में गीतो के माध्यम से मीलो आगे बढ़ा जा सकता है।
इकाई 1 समाजशास्त्र
इकाई-4 मध्यप्रदेश के संदर्भ में व कृषि व्यवस्था
● प्रमुख फसले कृषि जोत क्षेत्र एवं फसल प्रतिरूप फसलों के उत्पादन एवं वितरण का भौतिक एवं स
इकाई 1 समाजशास्त्र
इकाई-4 मध्यप्रदेश के संदर्भ में व कृषि व्यवस्था
● प्रमुख फसले कृषि जोत क्षेत्र एवं फसल प्रतिरूप फसलों के उत्पादन एवं वितरण का भौतिक एवं सामाजिक पर्यावरणीय प्रभाव, बीज एवं खाद की गुणवत्ता एवं आपूर्ति से जुड़े मुद्दे कृषि के तरीके, स्थानिकी, मुर्गीपालन, डेरी, मछली एवं पशुपालन आदि के मुद्दे एवं समस्याएं कृषि उत्पादन परिवहन, भण्डारण एवं विपणन से संबंधित समस्याएं एवं चुनौतियाँ।
● मध्यप्रदेश का आधारभूत ढाँचा एवं संसाधन ।
● मध्यप्रदेश का जनककी परिदृश्य और मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभावा
● औद्योगिक क्षेत्र संवृद्धि, प्रवृत्तियों एवं चुनौतियों
● कुशल मानव संसाधन की उपलब्धता मानव संसाधन का नियोजन एवं उत्पादकता रोजगार के विभिन्न चलन (इस)।
इकाई-5 भारतीय समाजवादी अर्थव्यवस्था
● भारत में कृषि, उद्योग एवं सेवा क्षेत्र के मुद्दे एवं पहला ।
● भारत में राष्ट्रीय आय की गणना।
● भारतीय रिजर्व बैंक एवं व्यापारिक बैंकों के कार्य, वित्तीय समावेशन, मौद्रिक नीति।
● अच्छी कर प्रणाली को विशेषताएँ प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर सब्सिडी, नकद लेनदेन, राजकोषीय नीति।
● लोक वितरण प्रणाली, भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान प्रवृत्तियों एवं चुनौतियाँ, गरीबी, बेरोजगारी एवं क्षेत्रीय असंतुलन ।
● भारत का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार एवं भुगतान संतुलन, विदेशी पूँजी की भूमिका, बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, आयात निर्यात नीति अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक, विश्व व्यापार संगठन, आसियान, सार्क, नाफ्टा एवं ओपेक
स्वतंत्रता के बाद से वर्तमान तक लोकसभा चुनाव और राज्य विधानसभाओं के उत्तरोत्तर चुनाव इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत के लोगों में संसदीय शासन प्रणाली के प्रति निष्ठा
स्वतंत्रता के बाद से वर्तमान तक लोकसभा चुनाव और राज्य विधानसभाओं के उत्तरोत्तर चुनाव इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत के लोगों में संसदीय शासन प्रणाली के प्रति निष्ठा कायम है। लोकतंत्र का अभिप्राय एक ऐसी शासन प्रणाली से है जिसमें शासन की शक्ति जनता के हाथ में होती है जिसका संचालन वह स्वयं या अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से करती है। संसदीय शासन से अभिप्राय उस शासन पद्धति से है जिनमें प्रधानमंत्री व मंत्रीपरिषद अर्थात वास्तविक कार्यपालिका अपने कार्यों के लिए व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होती है। सरकार के तीनों अंगो में व्यवस्थापिका सबसे महत्वपूर्ण अंग होती है व्यवस्थापिका एक सदनात्मक अथवा द्विसदनात्मक हो सकती है। एक सदनीय व्यवस्थापिका में व्यवस्थापिका का एक सदन होता है जो यूनान बुलगारिया आदि देशों में पायी जाती है। जबकि जिन राज्यों की व्यवस्थापिका में दो सदन होते हैं उसे द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका कहते है। द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका प्रजातांत्रिक शासन के अनुकूल भी है और निरंकुशता पर अंकुश लगाने के अलावा सभी विशिष्ट वर्गों का प्रतिनिधित्व भी करती है। अतः इसे एक सदनात्मक व्यवस्थापिका से अच्छा माना जाता है। भारत में द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका को अपनाया गया जिसमें उच्च सदन को राज्यसभा और निम्न सदन को लोकसभा के नाम से जाना जाता है। यह व्यवस्था ब्रिटिश संवैधानिक विकास पर परिणाम है। वर्तमान में सभी बड़े लोकतांत्रिक राज्यों में द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका पायी जाती है। इंग्लैण्ड, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैण्ड और भारत सहित द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका वाले राष्ट्र है।
Vidiadhar Surajprasad Naipaul was born in Chaguanas, Trinidad on 17th August 1932. His grandfather worked on a sugarcane plantation and his father was a journalist and writer, while his uncle Rudranath Capildeo was a noted scientist and politician. V.S. Naipaul studied at Queen's Royal College in Port of Spain where he won a scholarship to the University College at Oxford. He received a Bachelor of Arts degree in 1953, and travelled to England after receiving
Vidiadhar Surajprasad Naipaul was born in Chaguanas, Trinidad on 17th August 1932. His grandfather worked on a sugarcane plantation and his father was a journalist and writer, while his uncle Rudranath Capildeo was a noted scientist and politician. V.S. Naipaul studied at Queen's Royal College in Port of Spain where he won a scholarship to the University College at Oxford. He received a Bachelor of Arts degree in 1953, and travelled to England after receiving an award. He travelled far and wide in Asia, Africa and America. He was employed as a free- lance journalist by the BBC and devoted entirely to writing.
He is considered the leading novelist of the English-Speaking Caribbean, winner of the Nobel Prize in Literature, in 2001, Naipaul is a third generation descendant of a family of Brahmin pundits from Uttar Pradesh, India. His writings consist mainly of novels and short stories, but also include some documentary work.
आदिकाल से ही इतिहास एक कौतूहल और जिज्ञासा का विषय रहा है। इतिहास के गर्भ में विश्व के सभी विषय समाहित है। कहा भी जाता है कि इतिहास सभी विषयों की जननी है। यह एक दर्पण है, जिसमें समा
आदिकाल से ही इतिहास एक कौतूहल और जिज्ञासा का विषय रहा है। इतिहास के गर्भ में विश्व के सभी विषय समाहित है। कहा भी जाता है कि इतिहास सभी विषयों की जननी है। यह एक दर्पण है, जिसमें समाज में घटित सभी प्रकृति की घटनाओं का आरेख और प्रतिबिम्ब स्पष्ट झलकता है। इतिहास प्रेरक भी है और संदेशक भी है। इसकी भूमिका व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में अमिट एवं अमूल्य है। व्यक्तिगत जीवन में इसकी महत्ता इसलिये है क्योंकि इससे हम सीखकर वर्तमान को सम्हालते और संवारते है तथा भविष्य का निर्माण करते है। जबकि सामाजिक जीवन में वर्तमान के प्रत्येक प्रयोग की बुनियाद अतीत की घटनाओं का अन्वेषण और स्पंदन है, जिससे भविष्योन्मुखी समाज की परिकल्पना को आकार दिया जाता है। वर्तमान मनुष्य और जागरूक नागरिक प्राकृतिक शक्तियों से भरपूर इसलिये है क्योंकि इतिहास ने मनुष्य की उत्पत्ति के रहस्यों एवं वैज्ञानिक अनुभवों से इसे परिचित कराया, ज्ञान दिया जिसके आधार पर सामाजिक परिवर्तन के अनुकूल नवीन आविष्कारों का उपयोग कर मनुष्य ने स्वयं अपने को परिमार्जित किया। यहाँ यह कहना उचित होगा कि हमने इतिहास से यदि भारत की परतंत्रता और अंग्रेजों का भारतीयों के प्रति क्रूर व्यवहार को नहीं पढा होता तो शायद हम स्वाधीनता के अर्थ और राष्ट्र निर्माण में हम अपने दायित्वों को नहीं समझ पाते।
जात-पांत से ऊपर उठकर आदमी को आदमी की तरह देखने का विनम्र निवेदन संत कवियों की वाणियों में देश का दलित पिछड़ा समाज सदियों से करता आ रहा है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने ठीक यही बात अधिकार
जात-पांत से ऊपर उठकर आदमी को आदमी की तरह देखने का विनम्र निवेदन संत कवियों की वाणियों में देश का दलित पिछड़ा समाज सदियों से करता आ रहा है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने ठीक यही बात अधिकार और कर्तव्य की आधुनिक शब्दावली मे कही है लेकिन सर्व स्वमूलक भारतीय समाज पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिला पिछले दो दशकों में इसी विमर्श ने कांशीराम के वैचारिक और सांगठनिक नेतृत्व में नया आकार लिया पहली बार देश के दलितों अति पिछड़ों को एक आक्रामक भाषा मिली एक क्रम में आते-आते यह प्रक्रिया धुंधला सी गई है लेकिन इसकी अब तक की उपलब्धियों को याद करने का समय यही है अब कांशीराम हमारे बीच नहीं है।
समाज का निर्माण व्यक्ति से होता है और व्यक्तियों के आचार -विचार, व्यवहार -विनिमय तथा विभिन्न क्रियाकलापों से समाज का ताना-बाना ,उनकी जीवनशैली, उनके सामाजिक समीकरण बनते बिगड़ते र
समाज का निर्माण व्यक्ति से होता है और व्यक्तियों के आचार -विचार, व्यवहार -विनिमय तथा विभिन्न क्रियाकलापों से समाज का ताना-बाना ,उनकी जीवनशैली, उनके सामाजिक समीकरण बनते बिगड़ते रहते हैं! आज विश्व में आधुनिकीकरण, औद्योगिकरण ,भूमंडलीकरण तथा अन्य कारणों से मानवीय कार्य में जो बदलाव आए हैं उसका प्रभाव समाज पर पड़ रहा है !आज इस बात की अति आवश्यकता है कि सुखद तथा समृद्धि मय जीवन के लिए मनुष्य शाश्वत मानवीय मूल्यों को यथावत बनाए रखें तथा बदलते परिवेश के साथ अपने आने वाले कल के साथ बीते कल तथा आज में सामंजस्य बनाए रखें।
समाजशास्त्र की व्यवहारिक उपयोगिता इस बात से स्पष्ट होती है कि विभिन्न क्षेत्रों में विकास कार्यक्रम को क्रियान्वित करने में समाजशास्त्रीय ज्ञान का उपयोग व्यहार में किया जा रहा है। इस पुस्तक में समाज की समस्याओं और उनके निराकरण को निबंध के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह पाठ्यपुस्तक मध्य प्रदेश के स्नातकोत्तर समाजशास्त्र के तृतीय सेम के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी ।वहीं दूसरी ओर प्रतियोगी परीक्षा में बैठने वाले अभ्यार्थी भी इससे लाभान्वित होंगे। विद्यार्थियों की सुविधा हेतु विषय सामग्री के विभिन्न अध्यायों के अंतर्गत शीर्षक एवं उपशीर्षक में विभाजित किया गया है।प्रस्तुत समाजशास्त्रीय निबंध में समाज के सभी पक्षों को समाहित किया है जो भविष्य में शोधार्थियों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा इस प्रकार यह पुस्तक समाज से संबंधित अनेक सिद्धांतों एवं व्यावहारिक बिंदुओं पर प्रकाश डालती है।
It gives me great pleasure to present this book to the candidates of Staff Selection Board Examination. This book has been written with the aim of meeting the growing needs of the candidates who are appearing for M.P. The Staff Selection Board is appearing in the Patwari exam conducted by the exam. This book completely covers the General Management question paper of this exam. Which will prove useful to you.
This book will prove to be helpful in giving
It gives me great pleasure to present this book to the candidates of Staff Selection Board Examination. This book has been written with the aim of meeting the growing needs of the candidates who are appearing for M.P. The Staff Selection Board is appearing in the Patwari exam conducted by the exam. This book completely covers the General Management question paper of this exam. Which will prove useful to you.
This book will prove to be helpful in giving detailed and complete information about the subject to the readers. It covers all the dimensions of the subject. My direct experience of teaching the candidates of the Staff Selection Board has been a great source of inspiration for me in writing this book and has also proved to be extremely helpful.
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कर्मचारी चयन मंडल परीक्षा के अभ्यर्थियों के समक्ष इस पुस्तक को प्रस्तुत करते हुये मुझे अपार हर्ष हो रहा है। यह पुस्तक उन अभ्यर्थियों की बढ़ती हुयी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के उ
कर्मचारी चयन मंडल परीक्षा के अभ्यर्थियों के समक्ष इस पुस्तक को प्रस्तुत करते हुये मुझे अपार हर्ष हो रहा है। यह पुस्तक उन अभ्यर्थियों की बढ़ती हुयी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के उद्देश्य से लिखी गयी है, जो म.प्र. कर्मचारी चयन मंडल परीक्षा द्वारा आयोजित पटवारी परीक्षा में सम्मिलित हो रहे हैं। यह पुस्तक इस परीक्षा के सामान्य प्रबंधन के प्रश्न-पत्र को पूर्ण रूप से कवर करती है। जो आपको उपयोगी सिद्ध होगी।
यह पुस्तक पाठकों को विषय की विस्तृत एवं संपूर्ण जानकारी देने में सहायक सिद्ध होगी। इसमें विषय के सभी आयामों को सम्मिलित किया गया है। कर्मचारी चयन मंडल के अभ्यर्थियों को पढ़ाने का मेरा प्रत्यक्ष अनुभव इस पुस्तक के लेखन में मेरे लिये प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत रहा है तथा अत्यंत सहायक भी सिद्ध हुआ है।
उदारवाद ने आर्थिक सुधारों पर बल दिया जिस कारण राष्ट्रों की स्थिति सुद्रढ़ हुई,पूंजी का प्रवाह बड़ा,आवागमन की सरलता, व्यापार तथा पर्यटन का विकास हुआ तकनीकी तथा संचार की प्रगति स
उदारवाद ने आर्थिक सुधारों पर बल दिया जिस कारण राष्ट्रों की स्थिति सुद्रढ़ हुई,पूंजी का प्रवाह बड़ा,आवागमन की सरलता, व्यापार तथा पर्यटन का विकास हुआ तकनीकी तथा संचार की प्रगति से मानव जीवन में व्यापक बदलाव दिखाई दिए,एक नई संस्कृति का वातावरण बना,जो बाजारवादी व्यवस्था से जन्मी, बदलाव से मानव स्वभाव, सोच और जीवन शैली में आए परिवर्तनों तथा उसके प्रभाव को जानना भी आवश्यक था । निजी करण से पूंजीपति लाभान्वित दिखते है,सार्वजनिक क्षेत्रों को बेचना,सरकारी हस्तक्षेप को कम करना, सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों को निजी क्षेत्र को सौपने से रोजगार के क्षेत्र में अवसर बढ़े ?या कम हुए ? इसका परीक्षण भी करना आवश्यक था ।
उच्च प्रशासनिक सेवाओं के अभ्यर्थियों के समक्ष इस पुस्तक को प्रस्तुत करते हुये मुझे अपार हर्ष हो रहा है। यह पुस्तक उन अभ्यर्थियों की बढ़ती हुयी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के उद्द
उच्च प्रशासनिक सेवाओं के अभ्यर्थियों के समक्ष इस पुस्तक को प्रस्तुत करते हुये मुझे अपार हर्ष हो रहा है। यह पुस्तक उन अभ्यर्थियों की बढ़ती हुयी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के उद्देश्य से लिखी गयी है, जो म.प्र. लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा (प्रारंभिक एवं मुख्य) में सम्मिलित हो रहे हैं। यह पुस्तक इस परीक्षा के सामान्य अध्ययन के प्रश्न-पत्र के संविधान, सरकार तथा भारतीय अर्थव्यवस्था वाले ईकाई-6 को पूर्ण रूप से कवर करती है। इसके अलावा यह पुस्तक कई वैकल्पिक विषयों, जैसे- संविधान, सरकार तथा भारतीय अर्थव्यवस्था ईकाई-6 आदि के लिये भी उपयोगी सिद्ध होगी।
यह पुस्तक पाठकों को विषय की विस्तृत एवं संपूर्ण जानकारी देने में सहायक सिद्ध होगी। इसमें विषय के सभी आयामों (संवैधानिक, गैर-संवैधानिक, राजनीतिक एवं प्रशासनिक) को सम्मिलित किया गया है। सिविल सेवा के अभ्यर्थियों को पढ़ाने का मेरा प्रत्यक्ष अनुभव इस पुस्तक के लेखन में मेरे लिये प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत रहा है तथा अत्यंत सहायक भी सिद्ध हुआ है।
व्यावहारिक रूप से, मुख्यमंत्री के चयन में, उनके व्यक्तित्व, क्षमताएं। राजनीतिक पृष्ठभूमि,
विधानसभा और पार्टी में स्थिति और उनकी लोकप्रियता और केंद्रीय के साथ उनका जुड़ाव
पा
व्यावहारिक रूप से, मुख्यमंत्री के चयन में, उनके व्यक्तित्व, क्षमताएं। राजनीतिक पृष्ठभूमि,
विधानसभा और पार्टी में स्थिति और उनकी लोकप्रियता और केंद्रीय के साथ उनका जुड़ाव
पार्टी का नेतृत्व, पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री के साथ उसके संबंध मायने रखते हैं।
मुख्यमंत्री राज्य के संदर्भ में विभिन्न भूमिकाएँ निभाते हैं। चूंकि वह कैबिनेट के नेता हैं,
उसके पास नेतृत्व कौशल है और वह मंत्रियों की नियुक्ति और हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रशासन के सुचारू संचालन के लिए मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री से संबद्ध रहता है
प्रमुख सचिव व राज्य सचिवालय को भी निर्देश देते हैं। अगर मुख्यमंत्री है
एक कुशल प्रशासक, बुद्धिमान और जानकार तो प्रशासन फिट रहता है और
प्रशासन अधिक चिंता और गतिशीलता के साथ कार्य करता है।
संघ एवं राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षाओं हेतु
प्रस्तुत पुस्तक दस विषयवार अध्यायों में पूर्वमध्यकालीन भारत का इतिहास के अंतर्गत भारत के सामा
संघ एवं राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षाओं हेतु
प्रस्तुत पुस्तक दस विषयवार अध्यायों में पूर्वमध्यकालीन भारत का इतिहास के अंतर्गत भारत के सामान्य इतिहास की प्रस्तुति का प्रयास है। यह उपनिवेशी राजसत्ता से या “भारत पर राज करने वाले व्यक्तियों से अधिक भारतीय जनता पर केंद्रित है। यह शासित जनता की सोच, उनके सांस्कृतिक संकटों और सामाजिक परिवर्तनों को उनके विद्रोह, उनकी एक पहचान की तलाश को तथा अनेक प्रकार की उपनिवेशी नीतियों के माध्यम से उन तक पहुँचने वाली आधुनिकता से दो-चार होने के प्रयासों को उजागर करती है। सबसे बढ़कर यह इस कहानी का वृत्तांत प्रस्तुत करती है कि पश्चिमी साम्राज्यवाद की वर्चस्ववादी उपस्थिति में अपने सभी अंतर्विरोधों और तनावों के साथ भारतीय राष्ट्र किस तरह जन्म ले रहा था।
यह पुस्तक संघ एवं राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रारंभिक एवं मुख्य एवं पतियोगी परीक्षाओं हेतु एक मील का पत्थर सबित होगी ऐसा एक छोटा सा प्रयास कर रहा हुॅ।
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