वो धुआँ कुछ रौशन था” मनोज कृष्णन की साठ कविताओं का संग्रह है। यूँ तो इस संकलन की कई कविताएँ प्रेम और विरह की भावनाओं से ओत-प्रोत हैं पर जीवन के हरेक भाव कहीं न कहीं और किसी ना किसी रूप में पाठकों को इन कविताओं में देखने को मिलेंगे। ये कविताएँ मन-मस्तिष्क को झंकृत करते विचारों और ममर्स्पर्शी भावनाओं से लबरेज़ हैं।
“वो धुआँ कुछ रौशन था” काव्य संकलन की कई कविताएँ ऐसी हैं जिन्हें राष्ट्रीय एवं अंतरास्ट्रीय स्तर के काव्य मंचों पर काफी सराहा गया है।