“आधी उम्र” एक ग़ज़ल और कविताओं का संग्रह है, जो हिंदी और उर्दू के लफ़्ज़ों की जुगलबंदी है। इस संग्रह में मोहब्बत, ज़िंदगी के रंग, और उनके साथी दर्द को जीवंत करने का प्रयास हैं। लवकेश “गौरव” अपनी शायरी में उन अनकहे अहसासों को उजागर करते हैं जो हर दिल की कहानी होती है। "आधी उम्र" एक यात्रा है जिसमें पाठक दर्द, ख़ुशी, उम्मीद और नाउम्मीदी के रंगों में रंगते हैं। यह संग्रह उन सभी लोगों के लिए है जिन्हें शब्दों की गहराई को समझने और जीने का शौक है।
"घर की छतों पर ज़ाले लटक रहे हैं
ख़ुशियों की संदूक पर ताले लटक रहे हैं
घर से निकले थे हम मंज़िल का पता लेकर
आधी उम्र गुज़र गयी अब तक भटक रहे हैं"
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