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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalLovkesh "Gaurav," born in the serene village of Kharawar, Haryana, and raised in the vibrant cities of Hisar and Gurgaon, seamlessly blends tradition with modernity. As a mechanical engineer by education, he has mastered the art of precision and logic. As an entrepreneur by profession, he has harnessed the power of strategy and leadership. However, it is his soul, deeply entwined with the world of poetry, that truly defines him. Lovkesh's poetic journey began in the nostalgic setting of his childhood, where he was mesmerized by the captivating verses recited at local Mushairas. This love for pRead More...
Lovkesh "Gaurav," born in the serene village of Kharawar, Haryana, and raised in the vibrant cities of Hisar and Gurgaon, seamlessly blends tradition with modernity. As a mechanical engineer by education, he has mastered the art of precision and logic. As an entrepreneur by profession, he has harnessed the power of strategy and leadership. However, it is his soul, deeply entwined with the world of poetry, that truly defines him.
Lovkesh's poetic journey began in the nostalgic setting of his childhood, where he was mesmerized by the captivating verses recited at local Mushairas. This love for poetry was further enriched by the passionate expressions of Kumar Vishwas and reached its zenith with the profound verses of Jaun Elia.
In his debut poetry collection, "Aadhi Umr," Lovkesh delicately weaves together emotions and contemplations shaped by his extensive 17-year corporate career and the diverse experiences life has gifted him. Through each verse, he invites readers to explore love, loss, hope, and the silent whispers of life’s many phases.
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“आधी उम्र” एक ग़ज़ल और कविताओं का संग्रह है, जो हिंदी और उर्दू के लफ़्ज़ों की जुगलबंदी है। इस संग्रह में मोहब्बत, ज़िंदगी के रंग, और उनके साथी दर्द को जीवंत करने का प्रयास हैं।
“आधी उम्र” एक ग़ज़ल और कविताओं का संग्रह है, जो हिंदी और उर्दू के लफ़्ज़ों की जुगलबंदी है। इस संग्रह में मोहब्बत, ज़िंदगी के रंग, और उनके साथी दर्द को जीवंत करने का प्रयास हैं। लवकेश “गौरव” अपनी शायरी में उन अनकहे अहसासों को उजागर करते हैं जो हर दिल की कहानी होती है। "आधी उम्र" एक यात्रा है जिसमें पाठक दर्द, ख़ुशी, उम्मीद और नाउम्मीदी के रंगों में रंगते हैं। यह संग्रह उन सभी लोगों के लिए है जिन्हें शब्दों की गहराई को समझने और जीने का शौक है।
"घर की छतों पर ज़ाले लटक रहे हैं
ख़ुशियों की संदूक पर ताले लटक रहे हैं
घर से निकले थे हम मंज़िल का पता लेकर
आधी उम्र गुज़र गयी अब तक भटक रहे हैं"
“आधी उम्र” एक ग़ज़ल और कविताओं का संग्रह है, जो हिंदी और उर्दू के लफ़्ज़ों की जुगलबंदी है। इस संग्रह में मोहब्बत, ज़िंदगी के रंग, और उनके साथी दर्द को जीवंत करने का प्रयास हैं।
“आधी उम्र” एक ग़ज़ल और कविताओं का संग्रह है, जो हिंदी और उर्दू के लफ़्ज़ों की जुगलबंदी है। इस संग्रह में मोहब्बत, ज़िंदगी के रंग, और उनके साथी दर्द को जीवंत करने का प्रयास हैं। लवकेश “गौरव” अपनी शायरी में उन अनकहे अहसासों को उजागर करते हैं जो हर दिल की कहानी होती है। "आधी उम्र" एक यात्रा है जिसमें पाठक दर्द, ख़ुशी, उम्मीद और नाउम्मीदी के रंगों में रंगते हैं। यह संग्रह उन सभी लोगों के लिए है जिन्हें शब्दों की गहराई को समझने और जीने का शौक है।
"घर की छतों पर ज़ाले लटक रहे हैं
ख़ुशियों की संदूक पर ताले लटक रहे हैं
घर से निकले थे हम मंज़िल का पता लेकर
आधी उम्र गुज़र गयी अब तक भटक रहे हैं"
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