मैंने यह कवितायें कभी ठहरकर, विचार कर नहीं बनायीं। कभी कलम हाथ में पकड़कर घन्टों चिंतन नहीं किया। मेरी सभी कविताएं मेरे साथ होनेवाली , घटनेवाली स्थितियों में अपने आप उभर आयीं। मैंने इन्हें इनके मूल स्वरूप में ही रहने दिया है, कभी कोई सुधार नहीं किया क्योंकि मेरे जीवन में आए समस्त आध्यात्मिक उतार-चढ़ाव सत्य हैं। जिन्हें मैं बदलना नहीं चाहती।आज मैं आध्यात्मिक मार्गदर्शक,उपचारक हूँ, यह कवितायें मेरी शुरुआती आध्यात्मिक यात्रा की उधेड़बुन, सुख-दुख, भक्ति, भटकाव अन्यत्र भावों से परिपूर्ण है।
इन कविताओं को पुस्तक का रूप देने का विचार इसीलिए आया क्योंकि मुझे विश्वास है कि बहुत से लोग इस भटकाव या उलझन से गुज़रते हैं किंतु सभी अपनी भावनाओं और यथार्थ को व्यक्त नहीं कर पाते और मैंने उन सब लोगों की यात्रा को शब्द देने का प्रयास करना चाहती हूँ। मुझे पूर्ण आशा है कि आध्यात्मिक होने से पूर्व आध्यात्म के अर्थ को जानने से पूर्व जो साकार-निराकार से प्रेम, लड़ाई, अलगाव,खुशी, बेबसी, उलझन,आदि भावों के अनुभव होते हैं वह आप मेरी इस पुस्तक को पढ़कर जी सकेंगे। आपके सहयोग,आशीष व प्रेम की कामना के साथ,,