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Achchhe Sanskaar / अच्छे संस्कार Shikshaprad Anmol Kahaniyan

Author Name: Darsh Kumar | Format: Paperback | Genre : Children & Young Adult | Other Details

बचपन वह मिट्टी है जिसमें भविष्य के फूल खिलते हैं — और संस्कार वह खुशबू है जो जीवनभर साथ रहती है।

यह किताब, “अच्छे संस्कार”, केवल कहानियों का संग्रह नहीं है — यह उन पवित्र मूल्यों, भावनाओं और जीवन के सच्चे अर्थों का सुंदर दर्पण है जिन्हें हर माता-पिता अपने बच्चे के हृदय में देखना चाहते हैं।

हर कहानी में एक संदेश, एक सीख, और एक प्रेरणा छिपी है —
कहीं यह सिखाती है कि अच्छे कर्म कैसे करने चाहिए,
कहीं यह बताती है कि सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता सबसे सुंदर है,
और कहीं यह याद दिलाती है कि अच्छे दोस्त और अच्छे विचार हमारी ज़िंदगी बदल सकते हैं।

यह पुस्तक न केवल बच्चों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए है जो जीवन में संस्कार, करुणा, सच्चाई और अच्छाई को महत्व देता है।

“अच्छे संस्कार” पढ़िए — और महसूस कीजिए वह उजाला, जो हर बच्चे के दिल में एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा जगाता है।यह किताब हर घर में, हर बच्चे के पास ज़रूर होनी चाहिए।
क्योंकि संस्कार ही वह बीज हैं, जिनसे सच्ची सफलता और सुख का वृक्ष उगता है।

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दर्श कुमार

श्री दर्श कुमार, मुंबई में जन्मे और वहीं अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। वह अभी तीसरी कक्षा में हैं और बहुत ही प्यारे, नर्म दिल और संस्कारी बच्चे हैं।

दर्श अपनी माता-पिता से छोटी-छोटी अच्छी बातें सीखते हैं। वह हमेशा कोशिश करते हैं कि हर काम साफ़-सुथरे और अच्छे तरीक़े से करें और बड़ों की बातें ध्यान से सुनें।
वे अपने दोस्तों को भी अच्छे संस्कारों के बारे में बताते हैं और सिखाते हैं कि कैसे हम छोटे-छोटे अच्छे कर्म करके भी अपने जीवन में संस्कार ला सकते हैं।

दर्श श्रीमद्‍भगवद्‍गीता और भगवान के वचनों से बहुत प्रेरित हैं। वे मानते हैं कि हमें भगवान के वचन मानकर अपने सारे काम अच्छे ढंग से करना चाहिए।
अपने माता-पिता के प्रति उनका बहुत प्यार है और वे चाहते हैं कि उनकी अच्छाई और अच्छे संस्कार दूसरे बच्चों तक भी पहुँचे, ताकि वे भी खुश, साहसी और संस्कारी बनें।
वे अपने परिवार और देश का नाम ऊँचा करने में विश्वास रखते हैं।

एक दिन दर्श ने देखा कि - उसके दोस्त ने स्कूल से आने के बाद अपनी किताबें बिखेर दी थीं।
दर्श ने प्यार से कहा – “अगर हम बड़ों की बात मानें और अपनी चीज़ें सही जगह रखें, तो हम अच्छे संस्कारी बनते हैं और सबका दिन अच्छा बनता है।”
उसके दोस्त ने इसे समझा और दोनों ने मिलकर किताबें सही जगह पर रख दी।
इससे उन्हें यह भी पता चला कि छोटी-छोटी बातें और अच्छे कर्म हमें अच्छा बनाते हैं और दूसरों को भी खुश करते हैं।

दर्श कुमार की यह पुस्तक “अच्छे संस्कार” इसी उद्देश्य से लिखी गई है - कि हर बच्चा सीख सके, खुश रह सके और अपने जीवन में अच्छे संस्कार अपना सके। 

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