अक्सर आम जनता को ये जिज्ञासा होती है की अदालत के अन्दर कोर्ट में मुकदमों की कार्यवाही किस प्रकार होती है . अधिकतर हिंदी फिल्मों में अदालत की कार्यवाही का जो चित्रण किया जाता है वो बहुत ही नाटकीय और सत्यता से बहुत दूर होता है . कानून के दांव पेंच इस प्रकार दिखाए जाते हैं जिस से दर्शक ताली बजाएं और हीरो को वाह वाही मिले .
इस किताब में लेखक ने अदालत में हुए मुकदमों की वास्तविक कार्यवाही को दर्शाया है . कानून का विस्तृत वर्णन किया है . अदालत में केस लड़ने से पूर्व एक वकील को घर पर उस मुकदमें की तैयारी किस प्रकार करनी होती है और उसमें कितनी मेहनत लगती है ये दिखाया है . किस प्रकार मुक़दमे में गवाही होती है और किस प्रकार मुकदमा ऐन वक्त पर पलट जाता है ये दर्शाया है .
किताब में दिखाए गए सभी मुकदमें सच्ची घटनाओ पर आधारित हैं परन्तु पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं जिस से पवित्रता बनी रहे और किरदारों के केस उजागर न हों