उपोद्घात्
मेरा यह काव्य-संकलन "अनहद-नाद"
कुल मिला कर २५वाँ एकल काव्य-संकलन है। साहित्य धरा अकादमी द्वारा छापा जा रहा यह मेरा छठा एकल काव्य-संकलन है। इस काव्य-संकलन में मैंने १६-१२-२०२१ व ३१-१२-२०२१ के मध्य रचित २६७ कविताओं का समावेश किया है।
सबसे बड़ी प्रसन्नता की बात यह है कि ईस्वी वर्ष २०२१ में मैंने कुल मिला कर १८४० कविताएँ लिखीं जो मेरी जानकारी के अनुसार एक विशेष कीर्तिमान है। वैसे यह एक जग प्रसिद्ध तथ्य है कि प्रत्येक कीर्तिमान
कभी न कभी ध्वस्त होता ही है। इसी वर्ष में कविता लेखन में मेरे कुछ और
कीर्तिमान भी अनायास ही बन गये। २३-०५-२०२१ को २६ कविताएँ, १६-११-२०२१ को ३३ कविताएँ, २३-१२-२०२१ को ३५ कविताएँ, २७-१२-२०२१ को २७ कविताएँ व २९-१२-२०२१ को २८ कविताएँ लिखीं जो एक दिन में सर्वाधिक कविताएँ लिखे जाने के कीर्तिमान हैं, तदानुसार ५ भिन्न-भिन्न दिनों में कुल मिला कर मैंने १४९ कविताएँ लिखीं। उन कविताओं को पुनर्स्मरण करते हुए उन कविताओं का संचयन "कविता का अन्तर्नाद" नाम से छपेगा।
वर्तमान काव्य-संकलन जो अब आपके हाथ में है, इसे आप मन से पढ़ें और आनन्द लें।
आशीर्वादाकांक्षी—
(हस्ताक्षर)
डॉ.विनय कुमार सिंघल
"श्रीकृष्ण-पद-रज-अनुगामी"
अधिवक्ता/कवि
०१-०१-२०२२