कभी कभी ऐसा लगता है की बहुत कुछ है कहने को मगर कोई सुनने वाला नहीं है।ये किताब उन्हीं अनकही बातें, सीने में दबी जज़्बातों के बारे में है।ये पुस्तक प्रेम,धोखा,मां बाप,जिंदगी,प्रेरक और विविध गजलों का संकलन है।लेखिका ने सामाजिक मुद्दे जैसे दहेज प्रथा,गरीबी, धर्म विवाद पर प्रकाश डालने की कोशिश की है।इन सभी हृदयस्पर्शी चित्कारों को लेखिका ने पन्नों पर शायरियों के रूप में जीवित किया है और ‘अनकही बातें’ का निर्माण किया है जो निश्चित ही पाठकों को बहुत पसंद आयेगी।अगर एक भी पाठक तक ‘अनकही बातें’ के बात पहुंचे तो लेखिका अपनी इस छोटी सी प्रयास को सार्थक समझेंगी।।
मेरी उमर से मेरे अनुभव का
अंदाजा न लगाना,
मैं एक जिंदगी भर का
तजुर्बा रखती हूं,
खुद का मोल जानती हूं;
शायद इसीलिए हमेशा सबसे ऊपर
अपने आप को रखती हूं।।
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