लेखक ने इस पुस्तक में आज के परिवेश और आज के शिक्षित समाज को दिखाया है। जो अपनी भाषा और संस्कृति को पीछे छोड़कर आधुनिकीकरण और शहरीकरण की ओर बढ़ रहे हैं।
• इस किताब में एक खूबसूरत कहानी है जो आज के समाज को दिखाती है कि पढ़े-लिखे लोग और शहरों में रहने वाले लोग अपनी मातृभाषा भोजपुरी बोलने में शर्माते हैं।
• लेखक ने इस पुस्तक में भोजपुरी भाषा के इतिहास और भोजपुरी भाषा की "कैथी लिपि" के बारे में विस्तार से वर्णन किया है।
• लेखक ने इस पुस्तक में भोजपुरी भाषा में कुछ काव्य पंक्तियाँ भी लिखी हैं, जो भोजपुरी भाषा की पीड़ा को व्यक्त कर रही हैं।
• लेखक ने हमें इस पुस्तक में कहा है कि हमें अपनी मातृभाषा पर शर्म नहीं करनी चाहिए बल्कि हमें अपनी मातृभाषा भोजपुरी पर गर्व करना चाहिए।