बहुजन समाज यदि विषमतावादी संस्कृति को नष्ट करके समतावादी संस्कृति के आधार पर समतामूलक समाज बनाना चाहता है तो उसे विषमतावादी संस्कृति को अलग थलग छोडकर उसके समानान्तर अपनी समतावादी संस्कृति, अपनी समतावादी विचारधारा और इसके समतावादी महानायक तथा महानायिकाओं को चर्चा, विमर्श के केंद्र में रखना होगा।