एक रचनाकार के लिए साहित्य उसकी आत्मा के समान होता है। साहित्य का सृजन जीवन की यथार्थ भावना, कल्पना, सामाजिक परिवेश, देशकाल से जुड़ा होता है। कुछ इन्हीं विचारों से लेखिका ने भावनाओं के समंदर में गोते लगाकर शब्दों के मोती रुपी विचारों से एक सुंदर माला गूँथी है। जिसे *बावरा मन काव्य संग्रह* के रूप में साकार किया है।
*बावरा मन काव्य संग्रह*
जीवन को प्रेरणा और दिशा देती रचनाओं एवम कहानियों का सुंदर संसार है। आशा है कि पुस्तक में संकलित रचनाएँ एवम कहानियां अवश्य ही पाठकों को आनंदित करेंगी तथा उनके अंतः करण को स्पर्श करेंगी।
*बावरा मन काव्य संग्रह* की लेखिका प्रियंका गुप्ता जी को साहित्य लिखना पढ़ना बचपन से ही पसंद था ! प्रियंका गुप्ता जी को साहित्य का ज्ञान अपनी साहित्यक गुरु डॉक्टर सबीहा रहमानी जी से मिला है, उन्होंने बहुत सारी पुस्तकों को लिखा ! उनकी कविताओं को आज भी लोग बहुत रुचि से पढ़ते है!
[स्वर्णिम दर्पण परिवार] की वरिष्ठ लेखिका प्रियंका जी को उनकी प्रथम पुस्तक बावरा मन काव्य संग्रह के लिए बहुत बहुत बधाई एवम हृदय से शुभकामनाएं _ ऐसे लेखिका और लेखक ही समाज में साहित्य से संस्कृति का निर्माण करते है!
प्रियंका गुप्ता जी को स्वर्णिम दर्पण साहित्य मंच द्वारा स्वर्णिम साहित्य कवयित्री सम्मान, नारी रत्न सम्मान जैसे बहुत से साहित्यिक सम्मान प्राप्त हो चुके है!
स्वर्णिम दर्पण परिवार प्रियंका गुप्ता जी की इस उपलब्धि पर गौरावंतित है!!
✍ सौरभ पाण्डेय