Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
नमस्कार मित्रों मैं 'बृजमोहन पालीवाल' अपना एक और नायाब 'एकल संग्रह' लेकर आया हूँ जो कि मैं दुनिया-भर की, तमाम माताओं व उनकी अपार ममता और स्नेह को समर्पित करता हूँ। वैसे तो माँ और उसक
नमस्कार मित्रों मैं 'बृजमोहन पालीवाल' अपना एक और नायाब 'एकल संग्रह' लेकर आया हूँ जो कि मैं दुनिया-भर की, तमाम माताओं व उनकी अपार ममता और स्नेह को समर्पित करता हूँ। वैसे तो माँ और उसकी ममता व उससे मिली शिक्षा का एवं संस्कारों को शब्दों के माध्यम से बयाँ कर पाना सरल नहीं है, उसके लिए तो शब्द ही कम पड़ जाएँगे। माँ तो माँ ही होती है, वो तो धरती पर साक्षात भगवान का ही रूप है। माँ तो अतुलनीय है एवं पूजनीय है। मैंने अपने इस 'एकल संग्रह' में अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रत्येक माँओं के बारे में लिखा है, माँ के प्रति अपने सभी विचारों-भावों को व्यक्त करने का प्रयास किया है और उसके अनेक रूपों का भी वर्णन किया है। मेरे इस एकल संग्रह का शीर्षक है 'माँ तेरे रूप अनेक'। आशा करता हूँ कि आप सभी पाठकों को मेरा ये स्वरचित एकल संग्रह बेहद पसंद आएगा। मित्रों आपका साथ व आपका स्नेह सदैव मेरे साथ बना रहे। धन्यवाद!
✍ बृजमोहन पालीवाल
मेरी यह पुस्तक सभी दोस्तों को समर्पित है और उनको ज्यादा समर्पित है जो मुझे भूल गए या छोड़कर चले गए। प्रेम मे अद्भुत क्षमता होती हैं। उसी क्षमता के कारण इस पुस्तक को पूर्ण करने मे
मेरी यह पुस्तक सभी दोस्तों को समर्पित है और उनको ज्यादा समर्पित है जो मुझे भूल गए या छोड़कर चले गए। प्रेम मे अद्भुत क्षमता होती हैं। उसी क्षमता के कारण इस पुस्तक को पूर्ण करने में ज्यादा समय नहीं लगा। जो चले गए उनके लिए भी कविता लिखी है उनसे फिर मिलने की चाह अभी शेष है। दोस्ती और प्रेम से निकली आवाज को शब्दों में पिरोया और कविता के रूप मे सँवार दिया गया है जो प्रेम को अमरत्व कि ओर ले जाएगी।इसके बाद अब एक दूसरे को भूल पाना जितना कठिन था उससे भी ज्यादा हो गया है। दो दो पंक्तियों में जो बात कही गई वो तुम पर सटीक बैठती हैं। अनायास ही जो निकली थी जेहन से उनको मिलाकर बना दी एक किताब जिसे तुम पढ़ोगे फिर अंतर्मन में खो जाओगे। बस इतना कहना चाहूँगा कि इसे पढ़कर गीली कर दोगे और अहसास हो जायेगा कि प्रेम कभी मरता नहीं है।।
धन्यवाद।
प्रेम काल्पनिकता और वास्तविकता का ऐसा पंछी हैं जो जीवन के हर क्षण हवा में उड़ता फिरता हैं!
जिस प्रकार से सरोवर में असंख्य जीव वास करते हैं उसी प्रकार से प्रेम सरोवर में दुःख, दर
प्रेम काल्पनिकता और वास्तविकता का ऐसा पंछी हैं जो जीवन के हर क्षण हवा में उड़ता फिरता हैं!
जिस प्रकार से सरोवर में असंख्य जीव वास करते हैं उसी प्रकार से प्रेम सरोवर में दुःख, दर्द, विरह, योग,वियोग आदि गोथे लगाते रहते हैं मैंने प्रेम के हर क्षण को प्रेम सरोवर नामक काव्य संग्रह में सिमेटा हैं!
यह संग्रह बारिशों की बूंदो से मस्ती,खेतों में लहराती फसलों, सरोवर के तट पर जीवन के गीत-संगीत,
शाम को सुनहरी धूप में मिलने की आस आदि से महसूस कराने की कोशिश करता हैं!!
हर रचनाकार का सपना होता है कि उसकी भी पुस्तक हो।
मेरा ये सपना अल्प समय में अपना वर्चस्व स्थापित करने वाले "संगम पब्लिकेशन" ने साकार किया है। मेरे एकल संग्रह को ओम प्रकाश लववंशी द्वारा सम्पादित किया गया है। मैं आपका और आपकी टीम का आभार व्यक्त करता हूँ।
✍ Kr!shna RB
नमस्कार ! दोस्तो, मैं संदीप कुमार 'विश्वास' अपना यह तीसरा 'एकल संग्रह' 'रेणु जी की यादें', मेरे अपने दादा स्वर्गीय फणीश्वरनाथ रेणु जी को समर्पित कर रहा हूँ। इस पुस्तक का नाम भी मैंने
नमस्कार ! दोस्तो, मैं संदीप कुमार 'विश्वास' अपना यह तीसरा 'एकल संग्रह' 'रेणु जी की यादें', मेरे अपने दादा स्वर्गीय फणीश्वरनाथ रेणु जी को समर्पित कर रहा हूँ। इस पुस्तक का नाम भी मैंने अपने दादा फणीश्वरनाथ रेणु जी के नाम पर रखा है, उनके नाम से पुस्तक का नाम इसलिए रखा मैंने क्योंकि इस पुस्तक में मेरी अनेक रचनाएँ 'दादा' जी से संबंधित है, और उनकी यादों को इस संग्रह में अपनी रचनाओं के माध्यम से मैंने सहेजने का प्रयास किया है। दादा' जी तो अब इस दुनिया में नहीं रहे, पर उनकी यादें ऐसे व्यर्थ में जाने नहीं दूँगा, इसलिए मैं उनकी यादें आप सभी साहित्य प्रेमियों के बीच अपने इस 'एकल संग्रह' के' माध्यम से शेयर कर रहा हूँ। मेरी यह पुस्तक मैं अपने दादा स्वर्गीय फणीश्वरनाथ रेणु जी को, तमाम साहित्य प्रेमियों को तथा समस्त, 'रेणु गाँव' के वासियों को समर्पित करता हूँ। आशा करता हूँ आप सभी पाठकों को मेरा ये तीसरा 'एकल संग्रह' 'रेणु जी की यादें' बेहद पसंद आएगा, अपना स्नेह सदैव बनाए रखिएगा।
धन्यवाद एवं आभार आप सभी का।
✍ संदीप कुमार 'विश्वास'
नमस्कार ! प्यारे भाईयों एवं बहनों, मैं रौशनी अरोड़ा 'रश्मि' एक बार फिर आप सभी के समक्ष एक बहुत ही बहतरीन 'साझा संग्रह' लेकर उपस्थित हो रही हूँ। ये 'साझा संग्रह' दुनियाँ-भर के तमाम नए-पु
नमस्कार ! प्यारे भाईयों एवं बहनों, मैं रौशनी अरोड़ा 'रश्मि' एक बार फिर आप सभी के समक्ष एक बहुत ही बहतरीन 'साझा संग्रह' लेकर उपस्थित हो रही हूँ। ये 'साझा संग्रह' दुनियाँ-भर के तमाम नए-पुराने सभी साहित्यकारों एवं हमारे बॉलीवुड के आदरनीय 'अभिनेता' 'डॉ. के. एल. परमार, उर्फ़ कान्तिलाल परमार जी को, 'मेरी' यानी रौशनी अरोड़ा 'रश्मि' की तरफ से समर्पित है। कहते हैं कि अभिनेता तो अभिनेता ही होता है, चाहे कोई छोटा हो या बड़ा, बस वो अभिनेता होता है। आदरणीय डॉ. के. एल. परमार जी बॉलीवुड के होनहार अभिनेता होने के साथ-साथ एक पत्रकार व एक बेहतर रचनाकार भी हैं। ये हमारा परम सौभाग्य है की ऐसे महान अभिनेता की रचनाएँ भी हमारे इस 'साझा संग्रह' साहित्यकारों की महफ़िल में शामिल हैं। आप सभी को जानकर बेहद खुशी होगी कि अभिनेता डॉ. के. एल. परमार जी की पहली फिल्म एक ब्लैक नाईट रिलीज़ हो चुकी है और बहुत जल्द इनकी दूसरी फिल्म युद्ध एक्शन भी रिलीज़ होने वाली है। आप सभी 'साहित्यकारों' एवं अभिनेता डॉ. के. एल. परमार जी का तहेदिल से आभार। आशा करती हूँ की हमारा ये तीसरा 'साझा संग्रह' साहित्यकारों की महफ़िल समस्त संसार में धूम मचादे और हम सभी की मेहनत पे चार चाँद लग जाए। आप सभी अपना साथ और स्नेह मेरे साथ ऐसे ही सदा के लिए बनाए रखना और सदैव मुझे अपना सहयोग देते रहना। धन्यवाद! आप सबकी अपनी चहेती :--
रौशनी अरोड़ा ‘रश्मि’
पुस्तक में..............
"स्वस्थ तन में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है" इसी वाक्य को ध्यान में रखकर तन विषय पर रचनाओं का संकलन किया गया है। सभी रचनाकारों की श्रेष्ठ रच
पुस्तक में..............
"स्वस्थ तन में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है" इसी वाक्य को ध्यान में रखकर तन विषय पर रचनाओं का संकलन किया गया है। सभी रचनाकारों की श्रेष्ठ रचनाओं का रसपान पाठक कर सकेंगे और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता ला सकेंगे। इसके माध्यम से "तन" के बारे में सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव को दर्शाने की कोशिश की गयी है। जिसमें तन को नश्वर और आत्मा को अजर अमर बताया गया है।
तन संग्रह का संकलन वीपी हरदीप मट्टू जी के द्वारा किया गया जिसे संगम पब्लिकेशन कोटा द्वारा संपादित करके प्रकाशित किया गया है।
सभी रचनाकारों का हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ
आशा हैं आप सभी पाठकों को यह काव्य संग्रह अवश्य पसन्द आयेगा।
एक रचनाकार के लिए साहित्य उसकी आत्मा के समान होता है। साहित्य का सृजन जीवन की यथार्थ भावना, कल्पना, सामाजिक परिवेश, देशकाल से जुड़ा होता है। कुछ इन्हीं विचारों से लेखिका ने भावना
एक रचनाकार के लिए साहित्य उसकी आत्मा के समान होता है। साहित्य का सृजन जीवन की यथार्थ भावना, कल्पना, सामाजिक परिवेश, देशकाल से जुड़ा होता है। कुछ इन्हीं विचारों से लेखिका ने भावनाओं के समंदर में गोते लगाकर शब्दों के मोती रुपी विचारों से एक सुंदर माला गूँथी है। जिसे *बावरा मन काव्य संग्रह* के रूप में साकार किया है।
*बावरा मन काव्य संग्रह*
जीवन को प्रेरणा और दिशा देती रचनाओं एवम कहानियों का सुंदर संसार है। आशा है कि पुस्तक में संकलित रचनाएँ एवम कहानियां अवश्य ही पाठकों को आनंदित करेंगी तथा उनके अंतः करण को स्पर्श करेंगी।
*बावरा मन काव्य संग्रह* की लेखिका प्रियंका गुप्ता जी को साहित्य लिखना पढ़ना बचपन से ही पसंद था ! प्रियंका गुप्ता जी को साहित्य का ज्ञान अपनी साहित्यक गुरु डॉक्टर सबीहा रहमानी जी से मिला है, उन्होंने बहुत सारी पुस्तकों को लिखा ! उनकी कविताओं को आज भी लोग बहुत रुचि से पढ़ते है!
[स्वर्णिम दर्पण परिवार] की वरिष्ठ लेखिका प्रियंका जी को उनकी प्रथम पुस्तक बावरा मन काव्य संग्रह के लिए बहुत बहुत बधाई एवम हृदय से शुभकामनाएं _ ऐसे लेखिका और लेखक ही समाज में साहित्य से संस्कृति का निर्माण करते है!
प्रियंका गुप्ता जी को स्वर्णिम दर्पण साहित्य मंच द्वारा स्वर्णिम साहित्य कवयित्री सम्मान, नारी रत्न सम्मान जैसे बहुत से साहित्यिक सम्मान प्राप्त हो चुके है!
स्वर्णिम दर्पण परिवार प्रियंका गुप्ता जी की इस उपलब्धि पर गौरावंतित है!!
✍ सौरभ पाण्डेय
नमस्कार दोस्तों मैं संदीप कुमार 'विश्वास' अपना यह दूसरा एकल संग्रह ‘सहित्य की नगरी’ अपने 'साहित्य' एवं अपने समस्त साहित्य प्रेमियों को और अपने रेणु गाँव औराही हिंगना को समर्प
नमस्कार दोस्तों मैं संदीप कुमार 'विश्वास' अपना यह दूसरा एकल संग्रह ‘सहित्य की नगरी’ अपने 'साहित्य' एवं अपने समस्त साहित्य प्रेमियों को और अपने रेणु गाँव औराही हिंगना को समर्पित करता हूँ। यह मेरा दुसरा एकल संग्रह है, मैनें इस एकल संग्रह का नाम ‘साहित्य की नगरी’ इसलिए रखा क्योंकि मेरा गाँव अमरकथा शिल्पी 'फणीश्वरनाथ रेणु' जी का गाँव है। इसी गाँव में 'रेणु जी' के 'साहित्य' का सृजन हुआ था। यह गाँव साहित्य प्रेमियों के लिए एक प्रकार का तीर्थ-धाम भी है। इस नगरी को देखने के लिए विदेशों से बड़े-बड़े 'साहित्यकार लोग' भी आते हैं जैसे अमेरिका, रूस, जापान आदि। मेरे गाँव के चारों तरफ़ हरे-भरे खेत हैं, यहाँ के अधिकतर किसान मूँगफली और धान की खेती करते हैं। मुझे साहित्य से और सभी साहित्यकारों से बहुत ज़्यादा लगाव है। क्योंकि मुझे मेरे कई सारे साहित्यकार मित्रों ने मेरे लेखन कृत्य में सदैव मेरा मार्गदर्शन किया है उनमें से सबसे ज़्यादा मार्गदर्शन करती हैं मेरा जो वो हैं मेरी सबसे प्यारी सहित्यकारा दीदी रौशनी अरोड़ा 'रश्मि' जी। मेरी यह पुस्तक मैं अपने माता-पिता की सेवा करते हुए, समस्त 'साहित्य प्रेमियों' को तथा अपने 'गाँव-वासियों' को समर्पित करता हूँ। आशा करता हूँ आप सभी पाठकों को मेरा ये दूसरा एकल संग्रह ‘साहित्य की नगरी’ बेहद पसंद आएगा। अपना स्नेह सदैव बनाए राखिएगा। धन्यवाद!
संपादक की कलम से.......
आप सभी को भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत् 2079 की हार्दिक शुभकामनाएँ। यह वर्ष आपके लिए शुभ मंगलकारी हो।
वेदांती साहित्यिक मासिक पत्रिका के अप्रैल
संपादक की कलम से.......
आप सभी को भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत् 2079 की हार्दिक शुभकामनाएँ। यह वर्ष आपके लिए शुभ मंगलकारी हो।
वेदांती साहित्यिक मासिक पत्रिका के अप्रैल अंक (चतुर्थ अंक) में आप सभी रचनाकारों एवं पाठकों का हार्दिक अभिनंदन हैं।
तीन अंकों में आपका सहयोग प्रसंशनीय रहा हैं!
हम यह चाहते है कि वरिष्ट रचनाकारों से हम अधिकाधिक सीखें और नए रचनाकारों को प्रोत्साहित करें।
पुरे भारत से हमारे साथ रचनाकार जुड़े इसके लिए आप सब के सह्योग की जरूरत है
पुनः आप सभी का हार्दिक अभिनंदन...........
आपका
✍ओम प्रकाश लववंशी 'संगम'
संपादक वेदांती पत्रिका
नमस्कार !
दोस्तों, भाईयों व बहनों, मैं लेखिका व गायिका 'रौशनी अरोड़ा,'रश्मि'! 'दिल्ली' में निवासरत हूँ। इस पुस्तक 'उन्नति की ओर' में मैंने एक से बढ़कर एक रचनाकारों की रचनाओं को श
नमस्कार !
दोस्तों, भाईयों व बहनों, मैं लेखिका व गायिका 'रौशनी अरोड़ा,'रश्मि'! 'दिल्ली' में निवासरत हूँ। इस पुस्तक 'उन्नति की ओर' में मैंने एक से बढ़कर एक रचनाकारों की रचनाओं को शामिल किया है। इस पुस्तक में रोमांचक तथा प्रेरक रचनाएँ मौजूद हैं जो अपने आप में पढ़ने वालों को एक संदेश देती है, सीख देती है। मेरा और इसमें मौजूद सभी रचनाकारों का यही उद्देश्य है कि हमारी रचनाओं से पाठकों का मन भी आनंदित हो और उन्हें कुछ सीख भी मिले। मुझे पूरी-पूरी आशा है कि ये पुस्तक सभी पाठकों को बेहद पसंद आएगी। आप सभी पाठकों के बगैर हम रचनाकार अधूरे हैं। आपका साथ,आपका स्नेह व आपसे मिली प्रशंसा हम रचनाकारों के लिए सर्वोपरि है।
हमारा व आपका साथ सदा बना रहे। धन्यवाद !
रौशनी अरोड़ा 'रश्मि'
यह मेरी 9वीं पुस्तक है आशा है पाठक वर्ग अन्य पुस्तकों की तरह इस पुस्तक को भी पसंद करेंगे। यह पुस्तक मेरे पिताजी पूज्यश्री पुरुषोत्तम दास कापड़िया को समर्पित है।लंबे अरसे से इच्
यह मेरी 9वीं पुस्तक है आशा है पाठक वर्ग अन्य पुस्तकों की तरह इस पुस्तक को भी पसंद करेंगे। यह पुस्तक मेरे पिताजी पूज्यश्री पुरुषोत्तम दास कापड़िया को समर्पित है।लंबे अरसे से इच्छा थी कि महिलाओं के सामर्थ्य को उजागर करने हेतु एक पुस्तक का सृजन किया जाए। जहाँ चाह वहाँ राह। फरवरी 2020 में मेरी एक सहेली के घर पर उसकी सेवानिवृत्ति के पश्चात सभी का एकत्रीकरण आयोजित किया गया था। ईश्वर कृपा से कोरोना महामारी से पूर्व। आयोजन काफी सफल रहा। मुझे अनेक सहेलियों के साथ 2 दिन बिताने का अवसर कई सालों के बाद मिला था। इस अवसर के बाद महिलाओं पर किताब तैयार करने का हौसला बुलंद हो गया। । हम तो समाज में जागरूकता फैलाने हेतु लिख रहे हैं। अक्सर यह देखने को मिलता है कि शिक्षा प्राप्त कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होकर आगे आने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। साथ ही साथ महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों की संख्या भी बढ़ रही है। घरेलू अत्याचार के साथ-साथ कार्यक्षेत्र पर हो रहे अत्याचार भी बढ़ रहे हैं। अपने आप को संभालना है और समाज के लिए कुछ करना है।खुद पर यकीन कर लो यह आसमान कह रहा है।मंजिल तो मिल ही जाएगी कल का सूरज तुम्हारा है।।पाठक वर्ग को आश्चर्य जरूर होगा कि महिलाओं पर लिखी गई पुस्तक को मैंने पिताजी को समर्पित क्यों किया है। उत्तर देना अनिवार्य है। जब जब महिलाओं पर अत्याचार होने के समाचार आते थे तब वे सदैव कहते थे कि ‘‘महिलाओं को शिक्षित होकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना चाहिए। साथ ही साथ अपनी रक्षा के लिए हाथ में झाड़ू उठाने की भी हिम्मत होनी चाहिए।’’
वेदांती साहित्यिक पत्रिका का यह तीसरा अंक है, संगम पब्लिकेशन कोटा और वेदांती साहित्यिक समूह के द्वारा इसका प्रकाशन किया जा रहा है,
वेदांती साहित्यिक पत्रिका का यह तीसरा अंक है, संगम पब्लिकेशन कोटा और वेदांती साहित्यिक समूह के द्वारा इसका प्रकाशन किया जा रहा है,
यह पुस्तक मैं 'संदीप कुमार 'विश्वास', अपने "रेणु गाँव औराही हिंगना" के तमाम ग्रामवासियों को तथा तमाम साहित्य प्रेमियों को समर्पित करता हूँ। यह मेरा पहला 'एकल संग्रह' है, मैंनें इ
यह पुस्तक मैं 'संदीप कुमार 'विश्वास', अपने "रेणु गाँव औराही हिंगना" के तमाम ग्रामवासियों को तथा तमाम साहित्य प्रेमियों को समर्पित करता हूँ। यह मेरा पहला 'एकल संग्रह' है, मैंनें इस 'एकल संग्रह' का नाम भी "मेरा प्यारा रेणु गाँव औराही" रखा है, मैंने अपनी पुस्तक का नाम अपने गाँव पर इसलिए रखा! क्योंकि मैं अपने गाँव और अपने गाँव वासियों से अथाह प्रेम करता हूँ। मेरा प्यारा 'रेणु गाँव' साहित्य प्रेमियों के लिए एक पर्यटक स्थल है। मेरे इस 'रेणु गाँव' को देखने के लिए विदेश के लोग जैसे :- 'अमेरिका', 'जापान' और 'रूस' के बड़े-बड़े साहित्यकार लोग आते हैं।
हमारे गाँव के चारों तरफ हरे- भरे खेत हैं, यहाँ के अधिकतर किसान मूंगफली और धान की खेती करते हैं । यह कथाकार 'फणीश्वरनाथ रेणु' जी का जन्मस्थल भी है। जिन्हें मैं दिलो-जान से चाहता हूँ और अपने माता-पिता की सेवा करते हुए यह पुस्तक अपने माता-पिता एवं अपने प्यारे गाँव और समस्त गाँव-वासियों को समर्पित करता हूँ।
हमारी संस्कृति ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की रही है,
परिवार को समर्पित उत्कृष्ट रचनाओं का
संकलन ‘मेरा परिवार’ में किया गया है!
जिसमें 22 रचनाकारों की उत्कृष्ट रचनाएँ
हमारी संस्कृति ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की रही है,
परिवार को समर्पित उत्कृष्ट रचनाओं का
संकलन ‘मेरा परिवार’ में किया गया है!
जिसमें 22 रचनाकारों की उत्कृष्ट रचनाएँ
शामिल की गई है!
इसका संपादन का कार्य मेरे अर्थात्
ओमप्रकाश लववंशी ‘संगम’ के द्वारा
किया गया है और इसका प्रकाशन
‘संगम पब्लिकेशन’ कोटा, राजस्थान
के द्वारा किया गया है!
मेरा परिवार काव्य संकलन आप
सभी के समक्ष रखते हुए मुझे
अपार हर्ष अनुभूति हो रही है
आप सभी रचनाकारों का
हार्दिक अभिनंदन और आभार.......
✍ओमप्रकाश लववंशी ‘संगम’
कोटा,राजस्थान
मो.नं. 7877440819
"एक कदम" जैसा कि नाम से ही पता चल रहा एक कदम मतलब पहला कदम जो किसी काम के लिए हम चलते हैं। सीधे- सीधे बात किया जाये तो किसी काम की शुरुआत से इसका अर्थ लिया जा सकता हैं।
सोच स
"एक कदम" जैसा कि नाम से ही पता चल रहा एक कदम मतलब पहला कदम जो किसी काम के लिए हम चलते हैं। सीधे- सीधे बात किया जाये तो किसी काम की शुरुआत से इसका अर्थ लिया जा सकता हैं।
सोच समझकर पहला कदम रखने की बात कविताओं में कहीं गई है। सकारात्मक परिणाम के लिए अच्छी शुरुआत की जरूरत होती है।वीपी हरदीप मट्टू के द्वारा इसका संकलन किया गया हैं और ओम प्रकाश लववंशी ने इसका संपादन किया और संगम पब्लिकेशन द्वारा इसे प्रकाशित किया गया है।
आशा है कि आप सुधी पाठकों को ये अवश्य पसंद आयेगी।
जनचेतना के सशक्त रचनाकार डॉ.डी.एस.संधु जनवादी चेतना एवं अपार संभावनाओं के सशक्त रचनाकार हैं।आपके लेखन की विविधता तथा निरंतरता उनकी क्षमता,निष्ठा, प्रतिबद्धता तथा परिश्रम की प
जनचेतना के सशक्त रचनाकार डॉ.डी.एस.संधु जनवादी चेतना एवं अपार संभावनाओं के सशक्त रचनाकार हैं।आपके लेखन की विविधता तथा निरंतरता उनकी क्षमता,निष्ठा, प्रतिबद्धता तथा परिश्रम की परिचायक है। । लगभग प्रतिवर्ष आपके प्रकाशन सामने आते ही रहते हैं। युवावस्था से ही लेखन,मंचन,अभिनय, निर्देशन, संगठन आदि में व्यस्त डॉ.संधु कब अपने व्यवसाय एवं परिवार के लिए समय निकालते होंगे यह एक यक्ष प्रश्न है। व्यक्तित्व से सुगढ़ एवं सहज सरल बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न स्पष्टरूप से अपनी बात कहने और उस पर अडिगता से रहने वाले डॉ. संधु की कविताओं की भाषा शैली साहित्य मनीषियों तथा जनसंघर्षों से जुड़े लोगों को खासी प्रभावित करतीं हैं।
साम्यवादी, प्रगतिशील - जनवादी विचारधारा से संबंद्धता के कारण ही आपकी रचनाओं में वर्तमान सामाजिक परिवेश में व्याप्त विद्रूपताओं, विषमताओं और विसंगतियों के प्रति छटपटाहट है और वह बदहवास बिना किसी लाग लपेट के प्रगट होती है।
डॉ.संधु के स्वर आक्रोश के भी नहीं हैं और नैराश्य के भी नहीं। उनकी कलम कोई नुस्खा भी नहीं देती और चुपचाप बैठकर सहने की सलाह भी नहीं देती।
"मतदाता नहीं हो" की कवितायें एक आयना है,जिसमें स्त्री की पराधीनता उसका उत्पीड़न, युवाओं की कुंठा, शैशव की दुरावस्था, दरिद्र की निरीहता के प्रतिबिंब है तो साथ ही सक्षम,सबल और बुर्जुआ वर्ग की निर्दयी वृत्तियों का प्रकटीकरण भी है। इन कविताओं में विक्षोभ भी है ,प्रतिकार भी,अनास्था भी है और विग्रह विघटन के संकेत भी। सरल, सहज समीप के बिम्बों, प्रतीकों के माध्यम से कवि आपकी बात आपसे ही कहना चाहता है।विश्वास है कृतिकार का अभीप्सित पाठकों, सुधीजनों तथा साहित्य प्रेमियों तक पहुँचेगा !
प्रो.एस.एन. सक्सेना अशोकनगर 2 जून 2002
संपादक की कलम से.......
वेदांती साहित्यिक मासिक पत्रिका के फरवरी अंक (द्वितीय अंक) में आप सभी रचनाकारों एवं पाठकों का हार्दिक अभिनंदन हैं।
प्रवेशांक में आप सभी ने काफी उ
संपादक की कलम से.......
वेदांती साहित्यिक मासिक पत्रिका के फरवरी अंक (द्वितीय अंक) में आप सभी रचनाकारों एवं पाठकों का हार्दिक अभिनंदन हैं।
प्रवेशांक में आप सभी ने काफी उत्साह दिखाया है। फरवरी 2022 पत्रिका का द्वितीय अंक हैं।
सभी रचनाकारों को प्रमाण पत्र देकर प्रोत्साहित किया जायेगा
साहित्य सेवा को समर्पित इस पत्रिका में विभिन्न विषयों मकर संक्रांति,विश्व हिंदी दिवस,गणतंत्र दिवस,बसंत ऋतु,बसंत पंचमी सहित सामाजिक विषयों पर रचनाएँ संकलित की गयी हैं।
आशा करता हूँ कि आप सुधी पाठकों को पत्रिका अवश्य पसंद आयेगी।
पुनः सभी रचनाकारों का हार्दिक अभिनंदन।।
आपका
✍ओम प्रकाश लववंशी 'संगम'
संपादक वेदांती पत्रिका
संपादक की कलम से.......
वेदांती मासिक ई पत्रिका के प्रवेशांक में आप सभी रचनाकारों एवं पाठकों का हार्दिक अभिनंदन हैं।
वेदांती साहित्यिक समूह में रचनाकारों ने काफी उत्साह
संपादक की कलम से.......
वेदांती मासिक ई पत्रिका के प्रवेशांक में आप सभी रचनाकारों एवं पाठकों का हार्दिक अभिनंदन हैं।
वेदांती साहित्यिक समूह में रचनाकारों ने काफी उत्साह दिखाया हैं तो हम पत्रिका शुरु करके रचनाकारों को और प्रोत्साहित करना चाहते हैं।
जनवरी 2022 अंक पत्रिका का प्रवेशांक हैं इसमें आपका उत्साह देखने योग्य रहा हैं। सभी रचनाकारों को प्रमाण पत्र देकर प्रोत्साहित किया जायेगा
साहित्य सेवा को समर्पित इस ई पत्रिका में विभिन्न विषयों पर रचनाएँ संकलित की गयी हैं।
आशा करता हूँ कि आप सुधी पाठकों को अवश्य पसंद आयेगी।
पुनः सभी रचनाकारों का हार्दिक अभिनंदन।।
आपका
ओम प्रकाश लववंशी 'संगम'
संपादक वेदांती पत्रिका
‘‘मेरी माँ मेरी दुनिया’’ माँ पर लिखी गई उत्कृष्ट रचनाओं का साझा संग्रह हैं। जिसका संपादन ओम प्रकाश लववंशी 'संगम' के द्वारा किया गया है।
माँ के ममत्व को लेखनी के माध्य
‘‘मेरी माँ मेरी दुनिया’’ माँ पर लिखी गई उत्कृष्ट रचनाओं का साझा संग्रह हैं। जिसका संपादन ओम प्रकाश लववंशी 'संगम' के द्वारा किया गया है।
माँ के ममत्व को लेखनी के माध्यम से रचनाओं का रूप देकर संग्रह तैयार किया गया है।जो माँ को समर्पित है।
माँ को अनेक रूपों में दर्शाते हुए रचनाकारों ने मन भावों को उकेरा हैं।
आशा है उत्कृष्ट रचनाओं के द्वारा माँ का आशीष आप सुधि पाठकों तक पहुँचेगा।
सभी रचनाकारों को बहुत बहुत शुभकामनाएं...
"काव्य कुसुम" जैसा कि नाम से ही विदित हो रहा है कि कविताओं का पुष्प अर्थात् काव्य रूपी पुष्प। इस पुस्तक में उत्कृष्ट काव्य रचनाओं का संग्रह किया गया है। जिसमें 23 रचनाकारों की उत्क
"काव्य कुसुम" जैसा कि नाम से ही विदित हो रहा है कि कविताओं का पुष्प अर्थात् काव्य रूपी पुष्प। इस पुस्तक में उत्कृष्ट काव्य रचनाओं का संग्रह किया गया है। जिसमें 23 रचनाकारों की उत्कृष्ट रचनाओं को संकलित किया गया है। जिसके संकलन का कार्य वीपी हरदीप मट्टू के द्वारा किया गया। आपका पूर्व में "मौसमी" उपन्यास प्रकाशित हुआ है। आप गीत भी लिखते हैं।
काव्य कुसुम का संपादन कार्य ओम प्रकाश लववंशी (संगम पब्लिकेशन, कोटा) ने किया है।
सभी रचनाकारों को बहुत बहुत शुभकामनाएं।।।
कवि वह कलमकार होता है,जो अनुभूतियों और सपनों को शब्दों के सहारे संप्रेषण अभिव्यक्ति प्रदान करता है।जिससे कवि और पाठक दोनों रोमांचित होते हैं।ख्वाबों का पुलिंदा जैसा कि नाम से
कवि वह कलमकार होता है,जो अनुभूतियों और सपनों को शब्दों के सहारे संप्रेषण अभिव्यक्ति प्रदान करता है।जिससे कवि और पाठक दोनों रोमांचित होते हैं।ख्वाबों का पुलिंदा जैसा कि नाम से विदित होता है ख्वाब याने स्वप्न की दुनिया स्वप्न की नगरी ओम प्रकाश जी सुधि पाठकों के लिए साझा काव्य संग्रह लाए हैं ,इसमें रचनाकारों ने अनुभव, भावों, सोच और सपनों को गूथकर शब्द काया दे रचना प्रस्तुत किया है। लववंशी आदरणीय की संग्रह पाठकों को प्रेरित, विरोचित और कभी विभोचित करेगी उर्जा से भरी यह संग्रह जनमानस को भाएगा सम सामाजिक चेतना संपन्न कविता संकलन स्तरीय रचनाकारों से सुसज्जित है।दुनिया में अभी भी लोगों के हृदय में प्रेम भावनाएं यादें जीवित है, यही भाव चरितार्थ करती रचना पायेंगे ।आधुनिक काल के कवि बाहरी भीतरी बदलाव और दिल की दुनिया से द्वंद कर कविता रचता है, अपवाद नहीं विसंगति विडंबना से हटकर रंगों से उकेरता है। ख्वाबों का पुलिंदा का प्रभावपूर्ण संपादन ओम प्रकाश जी ने किया है। रचनाकारों ने भावों को प्रस्तुत किया है,जो रोमांचित ही नहीं प्रेरणा भी देते हैं यह आपकी पाँचवी कृति है।संग्रह की कविताएं मानवीय संवेदना और सामाजिक राष्ट्रीय दायित्व बोध का बखूबी निर्वहन करते हैं।प्रेम, हताशा,उत्साह तथा रोष को कैसे दर्शाया गया है, साथ ही देश प्रेम, किसान, आशियाना विभिन्न जीवन के पक्ष को लिया गया है।विभिन्न प्रकार के फूलों से बना हुआ संग्रहित किया हुआ सुगंधित खूबसूरत गुलदस्ता है।काव्य संग्रह ऊर्जावान तथा उत्साह से परिपूर्ण संपादक के द्वारा पूरा किया गया है।संग्रह की खासियत यह है, कि सभी रचनाकारों के लिखने का अंदाज अलग है, एहसास अनूठा है, कल्पना से हकीकत की यात्रा शब्दों की गहराई को पाठक महसूस करेंगे।
"मनभावों की दिव्यरौशनी" एक ऐसी पुस्तक हैं जिसमें 29 रचनाकारों के मन के भावों से निकली उत्कृष्ट रचनाओं की साहित्यरूपी दिव्यरौशनी हैं। जो आप पाठकों के मन में साहित्यरूपी दिव्यरौश
"मनभावों की दिव्यरौशनी" एक ऐसी पुस्तक हैं जिसमें 29 रचनाकारों के मन के भावों से निकली उत्कृष्ट रचनाओं की साहित्यरूपी दिव्यरौशनी हैं। जो आप पाठकों के मन में साहित्यरूपी दिव्यरौशनी से ज्ञान के प्रकाश में निश्चित वृद्वि करेगी।
इस पुस्तक का संकलन का कार्य रौशनी अरोड़ा "रश्मि" द्वारा किया गया और संगम पब्लिकेशन कोटा द्वारा प्रकाशित किया गया है।।
इश्क की महक.... एक लम्बे इंतजार की प्रेम कहानी है! शालिनी के जीवन संघर्ष को इसमें बताया गया है! सामाजिक कुरीतियों की मार झेलकर बाल विवाह जैसे संघर्ष और बदनामियां सहकर शालिनी आत्म ह
इश्क की महक.... एक लम्बे इंतजार की प्रेम कहानी है! शालिनी के जीवन संघर्ष को इसमें बताया गया है! सामाजिक कुरीतियों की मार झेलकर बाल विवाह जैसे संघर्ष और बदनामियां सहकर शालिनी आत्म हत्या का प्रयास करती हैं जिसे दामिनी बचाकर अपने घर लाती हैं...कुछ महीने बाद एक फौजी उसकी जिंदगी में आता है लेकिन वो भी अपनी केप की निशानी दे कर मिशन पर चल जाता हैं! लेकिन प्रेम में 4 साल उसका इंतजार करती हैं और कलियुग की सती बनकर उसे पाने में सफल होती हैं! उधर मिशन पर फौजी को शहीद घोषित किया जाता हैं लेकिन वो मरता नहीं है किसी तरह बच जाता और इत्तेफाक से ईश्वर उनका मिलन करवा देता हैं!
आशा है आपको ये कहानी पसंद आयेगी!
‘‘मौसमी’’ एक नाटकीय कहानी की तरह लिखी गई किताब (उपन्यास) है जिसमें आज के युग में चल रही बहुत सी बुराइयों और अच्छाइयों को दर्शाने की छोटी सी कोशिश की है। जिसमे सब रंग हैं जै
‘‘मौसमी’’ एक नाटकीय कहानी की तरह लिखी गई किताब (उपन्यास) है जिसमें आज के युग में चल रही बहुत सी बुराइयों और अच्छाइयों को दर्शाने की छोटी सी कोशिश की है। जिसमे सब रंग हैं जैसे प्रेम, आकर्षण, दोस्ती, दुख, सुख, अपराध, भक्तिभाव, अंधविश्वास आदि को सम्मिलित किया गया है।
प्रेम के नाम पर आकर्षण और समर्पण के नाम पर वासना, अपने स्वार्थ के लिए अधर्म का सहारा लेना और तंत्र-मंत्र जैसे अन्धविश्वास के घोर अन्धकार को उजागर करती हुई कहानी हैं!
आशा हैं आप सुधि पाठकों को अवश्य पसंद आयेगी.....
जनचेतना का क्षीतिज
डॉ. डी.एस. संधु समकालीन हिंदी साहित्य के चर्चित कवि, लेखक, नाटककार हैं। इनकी सृजनधर्मिता की अपनी विशिष्ट निर्भीक शैली और जनवादी चेतना के
जनचेतना का क्षीतिज
डॉ. डी.एस. संधु समकालीन हिंदी साहित्य के चर्चित कवि, लेखक, नाटककार हैं। इनकी सृजनधर्मिता की अपनी विशिष्ट निर्भीक शैली और जनवादी चेतना के लिए पहचान है। "अस्सी रुपया" नाट्यकृति से लगाकर "सीखचों में शालभंजिका" नाम से डॉ.डी.एस.संधु का यह चौथा काव्य संग्रह प्रकाशन से यह स्पष्ट है कि कलमकार में लेखन की अद्भुत क्षमताएं हैं। डॉ.संधु के कृतित्व में यह बात नजर आती है कि कवि एवं कविता आडम्बरों तथा शब्दों के मोहजाल से मीलों दूर यथार्थ के साथ जनमुखी भावना प्रबल करती सतत् प्रवाहमान है। जो अपने समग्र रुप प्रतिबद्धता के साथ संघर्षरत जन चेतना निर्मित करती दृष्टिगोचर होती है। डॉ.डी.एस.संधु का यह चौथा काव्य संग्रह "सीखचों में शालभंजिका" पाठकों के लिए अवश्य ही जन संघर्ष की भावनाओं से अवगत कराने में सक्षम होगा जिसमें मानवीय संप्रेषणियता है तो शिल्प की सहजता तथा भाषा विम्बों, प्रतीकों, मुहावरों के सामंजस्य की अभिव्यक्ति। कवि को भीड़ में अपनी पहचान देती है।आप सभी पाठकों के लिए भरपूर काव्यानंद ऐसा मेरा विश्वास है।
-डॉ.बी.एल.जैन
शबनम की साहित्यिक यात्रा में शामिल सभी साथियों को एक साथ पिरो कर काव्य संकलन के रूप में प्रस्तुत करने में अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है,,
शबनम अर्थात् ओस की बूंदे संपादक महोदय न
शबनम की साहित्यिक यात्रा में शामिल सभी साथियों को एक साथ पिरो कर काव्य संकलन के रूप में प्रस्तुत करने में अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है,,
शबनम अर्थात् ओस की बूंदे संपादक महोदय ने (श्वेत वस्त्र में लिपटे हो ज्यों) सभी को एकाकार कर दिया हो जैसे,,
शबनमी ओस की बूंदे निर्मल चाँदनी की छत्र छाया में विराजमान होकर अद्भुत रस से परिपूर्ण कविताएँ,अनुभूति के अलग-अलग आयाम में मन को मोह लेती है!!
जीवन के नैतिक मूल्यों और संस्कारों को साथ लिए आने वाली पीढ़ियों के लिए मन में सुगंध प्रेषित करती है।
संपादक ओम प्रकाश लववंशी ‘संगम’ ने एक अनूठे अंदाज में इस काव्य संग्रह को प्रकाशित करके सभी साहित्यकारों को एक सूत्र में पिरोया है।
युवा सोच वाले कवियों को साथ लेकर नई कविता के सशक्त हस्ताक्षर किए हैं।
हिंदी साहित्य सागर अत्यंत विशाल हैं जिसकी गहराइयों में असंख्य बेशकीमती मोती छिपे हुए हैं, उन मोतियों को सहज सुंदर और बेहतरीन तरीके से पिरोकर आपके समक्ष प्रस्तुत किया है, इस साहित्यिक पड़ाव में 42 रचनाकारों का साथ सुगंधित पुष्प की भांति हैं जो अपनी खुशबू से महक उठता है,,
सृजन हेतु सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई और अभिनंदन!!
प्रभु से प्रार्थना हैं कि सभी कवियों की रचना धर्मिता को अपने आलोक से आलोकित कर सुधि पाठकों में चेतना और आनंद का संचार कर साधना को सफल बनाएं।।
“अंश कृतियाँ” पुस्तक एक साहित्यिक यात्रा है जो पाठक को निश्चित ही अपने जीवन से जोड़ने का अद्भुत कार्य करेगी......
सावन की रिमझिम बारिश और त्योहारी माहौल से पुस्तक की शाब्दिक
“अंश कृतियाँ” पुस्तक एक साहित्यिक यात्रा है जो पाठक को निश्चित ही अपने जीवन से जोड़ने का अद्भुत कार्य करेगी......
सावन की रिमझिम बारिश और त्योहारी माहौल से पुस्तक की शाब्दिक यात्रा आरम्भ होकर परिवार, प्रेम, दोस्त, स्कूल, कॉलेज आदि का सफर तय करती हुई इतिहास, समाज और संस्कृति तक पहुँचती हैं!!
आप शुद्धि पाठकों से आशा है कि इस साहित्यिक सफ़र का "अंश कृतियाँ" पुस्तक के माध्यम से रसपान अवश्य करेंगे!!
संजय कुमार डोकानिया एवं श्रीमती नीलम देवी डोकानिया के द्वारा भगवान शिव की प्रेरणा से शिव पार्वती महिमा, हृदय को मंत्र मुग्ध कर देने वाली पावन शिव महिमा की रचना की गई हैं। दुनि
संजय कुमार डोकानिया एवं श्रीमती नीलम देवी डोकानिया के द्वारा भगवान शिव की प्रेरणा से शिव पार्वती महिमा, हृदय को मंत्र मुग्ध कर देने वाली पावन शिव महिमा की रचना की गई हैं। दुनिया के सभी लोग इस पावन शिव महिमा को पढ़े और धर्म को अपने जीवन में शामिल करे -!!
रचना की स्वर्णिम रचनाएँ" स्वर्णिम रचनाएँ मतलब सोने जैसी, सोने जैसी खरी और एक अपनेआप में महत्त्वपूर्ण अर्थात इस पुस्तक में रचना वशिष्ठ की उन रचनाओं को शामिल किया है जो हमारे जीवन
रचना की स्वर्णिम रचनाएँ" स्वर्णिम रचनाएँ मतलब सोने जैसी, सोने जैसी खरी और एक अपनेआप में महत्त्वपूर्ण अर्थात इस पुस्तक में रचना वशिष्ठ की उन रचनाओं को शामिल किया है जो हमारे जीवन इर्द गिर्द घूमती समस्या, समाधान से लेकर सामाजिक, धार्मिक, बचपन से जीवन संघर्ष, प्रकृति प्रेम तक की बेस्ट कविताएं हैं। यूँ कहूँ कि यह पुस्तक सोने का कोई आभूषण हैं जिसमें कई सुंदर-सुंदर बेशकीमती पत्थर जड़े हो...
जिस तरह से फूलों से महक आती है उसी तरह इस पुस्तक में शब्दों से विचारों की महक निकल कर आप तक पहुँचेगी । हमारे इर्द-गिर्द घूमती हुई कविताओं का संकलन इस पुस्तक में किया गया है जो निश्
जिस तरह से फूलों से महक आती है उसी तरह इस पुस्तक में शब्दों से विचारों की महक निकल कर आप तक पहुँचेगी । हमारे इर्द-गिर्द घूमती हुई कविताओं का संकलन इस पुस्तक में किया गया है जो निश्चित ही हमारे जीवन काल से जुड़ी हुई हैं। पुस्तक में शामिल की गई कविताएं निश्चित आपके ह्रदयतल तक पहुँचेगी।
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कुछ लम्हें इस तरह से गुजर जाते हैं जिनको वह फिर से जीना चाहता है।
उन लम्हों को आजीवन याद रखना चाहता है।
रचनाकार ने बीते लम्हों को लेखनी के माध्यम स
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कुछ लम्हें इस तरह से गुजर जाते हैं जिनको वह फिर से जीना चाहता है।
उन लम्हों को आजीवन याद रखना चाहता है।
रचनाकार ने बीते लम्हों को लेखनी के माध्यम से काव्य विधा में ढ़ालकर एक पुस्तक का रूप दिया है। काव्य संग्रह 'आओ-ना फिर से तुम' में बचपन,गाँव,बारिश,सावन,स्कूल,प्रेम,दोस्ती,खेतों में लहराती फसलों के इर्द-गिर्द घूमती हुई कविताओं के साथ ही नारी जागरूकता और प्रेरणात्मक कविताएं शामिल हैं।
किस तरह विज्ञान के युग में बचपन खोता जा रहा हैं। छात्र किस तरह से अपने सपनों को पूरा करने के लिए घर से दूर रहता है तब उसको घर की याद आती हैं, अपने बचपन के दोस्तों को कैसे याद करता है उनको फिर से गाँव बुलाता है और फिर से बचपन में खो जाना चाहता है।।
Are you sure you want to close this?
You might lose all unsaved changes.
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.