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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palरचना की स्वर्णिम रचनाएँ" स्वर्णिम रचनाएँ मतलब सोने जैसी, सोने जैसी खरी और एक अपनेआप में महत्त्वपूर्ण अर्थात इस पुस्तक में रचना वशिष्ठ की उन रचनाओं को शामिल किया है जो हमारे जीवन इर्द गिर्द घूमती समस्या, समाधान से लेकर सामाजिक, धार्मिक, बचपन से जीवन संघर्ष, प्रकृति प्रेम तक की बेस्ट कविताएं हैं। यूँ कहूँ कि यह पुस्तक सोने का कोई आभूषण हैं जिसमें कई सुंदर-सुंदर बेशकीमती पत्थर जड़े हो...
रचना वशिष्ठ
मैं रचना वशिष्ठ, मेरा जन्म बिहार राज्य के भागलपुर शहर में हुआ सन् 1957 ,17 जनवरी को सुबह सात बजे हुआ। मेरी शिक्षा-दिक्षा
भागलपुर में ही हुई । मैंने हिंदी, अंग्रेजी और संगीत में स्नातक किया और आज जो भी हूँ आप सबों के सामने हूँ।
मैं रचना वशिष्ठ, बहुत छोटा सा परिचय है मेरा। हिन्दी साहित्य में बचपन से ही मेरी रूचि रही और मैंने 18 वर्ष की आयु से ही लिखना आरम्भ कर दिया था।पटना, राँची, भागलपुर आकाश वाणी केन्द्र से मेरे बहुत से स्वरचित कार्यक्रम प्रसारित हुए ।
संगीत में भी मेरी रूचि बाल्यकाल से रही। मैंने विधिवत पाँच वर्षों तक शास्त्रीय संगीत की शिक्षा, मेरे आदरणीय गुरु दुर्गेश मिश्रा जी से ली जो संगीत के बनारस घराने से हुआ करते थे।
मेरे अंतर्मन में एक एहसासों की भीड़ है, जिसे मैं कोरे पन्नों पर जब उतारती हूँ तो ऐसा लगता है जैसे मेरे व्यक्तित्व का हरेक पहलू उजागर हो रहा है l फिर भी ना जाने क्यूँ ऐसा लगता है जैसे कुछ तो और बाकी है जिसको मुझे कविताओं में ढालना शेष है l लिखना मेरे लिए वरदान साबित हुआ है l मैं नहीं जानती कि मैं कितना आवाम को प्रभावित करती हूँ पर कुछ तो ऐसा है जिसने मुझे मानसिक अवसाद से बाहर निकाला है l आज मैं अपने लेखन से भरसक प्रयास कर रही हूँ कि लोगों में समाज, नारी, राजनीति, और भ्रष्टाचार के प्रति जागरूकता पैदा कर सकूँ l कहाँ तक सफल हूँ ये तो जनता जनार्दन तय करेगी,मेरा तो प्रयास जारी है l बस मेरा यही छोटा सा परिचय है, इससे अधिक अपने बारे में मैं और क्या कहूँ? धन्यवाद
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