आज विश्व के सभी देश भाषाई दक्षता को अनिवार्य मान रहे हैं । भाषा शिक्षण एक तकनीक के रूप में विकसित हो रही है । कोई भी देश अपनी सभ्यता एवं संस्कृति के विकास एवं संरक्षण के लिए अपने देश की भाषा पर निर्भर रहता है । शिक्षा जगत बिना भाषा के संभव नहीं है । शैक्षिक गतिविधियों में निरंतर शोध और विकास आज के तकनिकी युग में भाषा शिक्षण को गतिमान और प्रभावी कर दिया है । अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव ने भारतीय भाषाओँ पर ग्रहण लगा दिया है । अन्य भाषाओ के साथ साथ हिंदी भाषा भी विकारयुक्त हो गई है एक शिक्षक को भाषा में प्रवीण होना चाहिए ।आज बहुत से विद्यार्थी हिंदी भाषा के विषय में कम जानकारी रखते है । ऐसे में शिक्षक वर्ग का दायित्व है की ऐसे ग्रंथों एवं पुस्तकों की रचना करें जिससे विद्यार्थियों को अपनी हिंदी भाषा में दक्ष बनाया जा सके । इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत पुस्तक '' हिंदी भाषा दक्षता ''की रचना की गयी है ।