प्रसिद्ध गाधीवादी सामाजिक कार्यकर्त्ता भारतीय आत्मा अन्ना हजारे की संस्था इंडिया एगेन्स्ट कोरप्शन को यह काव्य रचना समर्पित हैं, जहा से भ्रष्टाचार नियंत्रण हेतु राष्ट्र व्यापी आन्दोलन जारी है ।
"जन हुँकार" में कवि की भावना का क्रमिक भावोन्मेष, कालक्रम की गति, परिणति, प्रस्तुति और अवसान में जन-मन एवं हृदय के भावोद्गार मानव के कल्याणार्थ फूट पड़ा है जो जितना ऐतिहासिक है, उतना ही समसामयिक भी राजनैतिक परिदृश्य का सामाजिक संस्पर्श पाठकों की सहमति की अपेक्षा रखगी।
भारतीय इतिहास सौष्ठव, अंग्रजी सत्ता की वर्वरता और स्वतंत्र भारत की राजनैतिक सामाजिक परिदृश्य पर कवि की आतनाद कोई क्रांतिकारी उन्माद नही जन आकाक्षाओं की करुणा भाव भूमिका है जिसके लिए भारतीय आत्मा को जगान और उनमे युगबोध अपनाने की उदघोषणा निहित है।