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JEEVAN KI ANUBHUTIYAN KAVYA SANGRAH / जीवन की अनुभूतियाँ काव्य संग्रह

Author Name: Urmil Sharma | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

कवयित्री श्रीमती उर्मिल शर्मा की रचनाओं में जीवन का अनुभव है,स्त्री अस्तित्व की उन्मुक्त उड़ान है,सामाजिक विकारों पर कटाक्ष है और समाधान की उम्मीद है तथा इन सबसे से बढ़कर जीवन का उल्लास है,आत्मबल की व्याख्या है। काव्य अपराजिता के पटल पर कवयित्री की रचनाओं का संकलन और सम्पादन कर काव्य संग्रह ‘जीवन की अनुभूतियाँ’ का प्रकाशन करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है,आशा है माँ सरस्वती की कृपा से यह काव्य संग्रह सभी सुधि पाठकों के हृदयतल का स्पर्श कर नवप्राण भरने में सफल होगा। 

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उर्मिल शर्मा

मुझे कविता लिखने की प्रेरणा मेरे स्वर्गीय पिता श्री जियालाल शास्त्री जी से मिली। शुरू से ही घर का वातावरण संगीतमय था। भजन कीर्तन घर में चलते रहते थे। गर्मियों की छुट्टियां होती तो माँ रामायण लेकर बैठ जाती और सुनाने को कहती। पिता जी ने रामायण और लय में गाना सिखाया था। वो ही लय  जीवन का हिस्सा बन गई और ना जाने कब कॉलेज टाइम में कविता लिखना शुरु कर दिया। मैं जो भी लिखती थी वह मुझे सामने नजर आता उसी के ऊपर में कविता लिखती थी। जीवन की अनुभूतियाँ पुस्तक में मैंने जितनी भी कविताएं लिखी है वह सब मैंने अनुभव की है। मैंने आसपास के वातावरण को लिया है और उसी को लेकर मैंने सारी कविताओं की रचना की है। इस काव्य संग्रह में जितनी भी कविताएं हैं उन कविताओं की रचना मैंने सोलह से अठारह वर्ष की आयु में ही पूरी कर ली थी। आज काव्य अपराजिता  प्रकाशन के सहयोग से मेरे जीवन की जो अनुभूतियाँ हैं वह मैं पाठकों के समक्ष रख रही हूँ। यह अनुभूतियाँ सिर्फ मेरी नहीं है मेरे जैसी हजारों लड़कियों की है, मेरे जैसे हजारों युवाओं की है जो समाज में प्रचलित बुराइयों को सहन करते हैं। जो सारी योग्यता होते हुए भी आगे नहीं बढ़ पाते। कभी समाज के संस्कारों का डर, तो कभी समाज में कुरीतियों का डर, तो कभी भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, दहेज प्रथा जैसी बीमारियां इनको घेर लेती हैं। दोस्तों मैंने अपने जीवन में जो अनुभव किया, जो मेरे जीवन में घटा वह मैंने अपने इस काव्य संग्रह में लिखा है। कवि या कवयित्री हमेशा कल्पना में जीते हैं अगर मेरे इस काव्य संग्रह की बात करें तो इसमें कल्पना लेश मात्र है। मैंने कल्पना का सहारा नहीं लिया और कल्पना का सहारा लेने की आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि हमारे आसपास का ऐसा वातावरण है कि इसके ऊपर जितना लिखा जाए उतना कम है। मैं मानती हूँ कि मेरे लेखन से किसी एक ही व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन आ गया या उसके ऊपर कोई प्रभाव पड़ गया तो उसके लिए मैं ईश्वर की आभारी रहूंगी।

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