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Kagaz Aur Kalam / कागज़ और कलम

Author Name: Preeti Kumari Allhad , Shivangi Gupta Hasrat | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

काग़ज़ और कलम एक काव्य संकलन है जो विभिन्न राज्यों के लेखक व लेखिकाओं को एकत्रित कर संकलित किया गया है। यह संकलन मुख्यतः कविताओं , गीत , ग़ज़लों का संग्रह है जो अपने समय को साथ लेकर चलता है। यह व्यष्टि से समष्टि और समष्टि से व्यष्टि की एक अनुपम यात्रा है जिसके केंद्र में व्यक्ति भी है और समाज भी , समाज में प्रचलित अनैतिक कार्य भी हैं और बढ़ती हैवानियत भी , वहीं इसमे बची हुई इंसानियत भी है और मुहब्बत भी। इसमे ग़म भी है और खुशी भी , स्त्री भी है और पुरूष मानसिकता भी। काग़ज़ से कलम का और कलम से कलमकार के इस अनोखे रिश्ते को आज हम सभी ने कहीं खो दिया है। कलम और कलमकार दोनो ही समाज से जुड़े हुए हैं और समाज साहित्य से जुड़ा हुआ है। ठीक ही कहा जाता है कि साहित्य समाज का दर्पण है। प्रसिद्व आलोचक रामविलास शर्मा जी कहते हैं कि साहित्य केवल समाज का दर्पण नही है वह उससे भी बहुत कुछ आगे है। बालकृष्ण भट्ट जी ने साहित्य को जन समूह हृदय का विकास माना। वहीं आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी ने जनता की चित्तवृत्तियों का संचित प्रतिबिम्ब। कहा जा सकता है कि साहित्य चेतन , अवचेतन मन के एक एक भाव खुला आसमान है , जहाँ चींटी से लेकर हाथी तक , पिन से लेकर कार तक या यूँ कहें कि इस संसार की हर शय में साहित्य पूर्णतः व्याप्त है, ज़रूरत है तो केवल उसे महसूस करने की। अब दुख हो या सुख , प्यार हो या नफ़रत , चोरी हो , बेईमानी हो या ईमानदारी सब कुछ इसी समाज का हिस्सा है यानी साहित्य का विषय है। 

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