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Khamosh Kinara / ख़ामोश किनारा

Author Name: Tinkesh Patidar | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

यह किताब एक काव्य संकलन है जो एक ओर जिंदगी की जमीनी हकीकत से रूबरू करवाती है वही दूसरी ओर रिश्तों में वास्तविकता का आइना ला खड़ा करती है।

इस संकलन का नाम "खामोश किनारा" मेरे अंदर के उस शख्स का किरदार निभाता है जो रूबरू है रिश्तों की हकीकत से और शायद अब खामोश भी।

मैंने अक्सर रिश्तों में खामोशियों को महसूस किया है और यह ऐसा बेजुबान दर्द है जो शख्स को अंदर ही अंदर खाता रहता है। कुछ ऐसे पहलुओं को पाठकों के समक्ष रखा गया है जिसे आप पढ़ कर अपनी आपबीती से जोड़ पाएंगे।

जिंदगी के कुछ शाश्वत सत्य है जिन्हें हम जान कर भी नकार देते है और मोह के धागों में बंध जाते है इस संकलन के कुछ लेखकों ने ऐसे हालात को पन्नो पर उतारा है। 
कुछ अनकहे जज़्बात भी इस संकलन का हिस्सा है जो अक्सर बोल कर बयां नहीं हो पाते।

इस संकलन के लेखकों ने सांसारिकता, रिश्ते, मोहब्बत, अकेलापन, जुदाई, बढ़ती उम्र, वक्त से जुड़े अपने अनुभव सांझा किए है।
 मेरी आशा है की इस संकलन को पढ़ते हुए आपको पन्ना दर पन्ना कुछ नया अनुभव मिले।

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टिंकेश पाटीदार

लेखक टिंकेश पाटीदार झालावाड़, राजस्थान गाँव समराई निवासी है। इन्होंने शिक्षा में अपना स्नातकोत्तर (M.Sc.) विषय BOTANY में किया है। फिलहाल ये LIFE SCIENCE से CSIR NET की तैयारी कर रहे है। इनका लक्ष रिसर्च फील्ड में जाना है बाकी इनका कहना है "रास्ते किस्मत के गुलाम बन ही जाते है देखते-देखते"। 
 लेखक ग्रामीण परिवेश के साथ, संयुक्त परिवार में पले बड़े हुए यह बिल्कुल वैसा ही था जैसे सोने पर सुहागा और  यही एक वजह है इनकी सोच की विस्तृतता, बहुमुखी प्रतिभा की।
 ये वास्तविकता पर विश्वास रखते है जिनका दिखावे की दुनिया से लगभग कोई वास्ता नहीं है।
 पठन-पठान, लेखन के साथ इनका पौधा संरक्षण की ओर भी झुकाव है।
 अपने कॉलेज के वक्त से ही ये आकर्षित थे कविताओं और कहानियों की दुनिया से। वक्त के साथ शब्दों के मोतियों को धागे में पिरोना शुरू किया और आज भी लेखन मंजिल की ओर अग्रसर है। इनकी मंजिल बस इनके सफर के मुसाफिरों की खामोशियों को आवाज देना है।
  जहाँ गिराने वाले मिले बहुत वहाँ हाथ पकड़ उठाने वाले भी साथ खड़े रहे और माँ-पापा के आशीर्वाद ने हमेशा  मुश्किलों से किनारे लगा ही दिया।

लेखनीय सफर में इनका कुछ चुनिंदा दोस्तों ने, इनके छोटे भाई अंशुल और बड़ी बहन वर्षा ने बखूबी साथ निभाया है।
छोटे भाई अंशुल ने इन्हें हमेशा प्रेरित किया कुछ ना कुछ लिखने को और बड़ी बहन वर्षा ने लेखन में इनकी त्रुटियाँ और वर्तनी संबंधित अशुद्धियों को सुधारने में मदद की।

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