लेखक के बारे में
सुश्री खुशबू मिश्रा
|1999
सुश्री खुशबू मिश्रा। परम पूजनीय भक्त
सुनहरे दिल के साथ सबसे ज्यादा असहज महसूस करने के लिए
अंश
दिव्य प्रेम का। हमेशा अपने भीतर आकर्षण लिए...,
उसने कभी भी किसी भी रूप में घृणा का पक्ष नहीं लिया। उसका जीवन है
उसके अनुसार सिर्फ एक अर्थ है कि वह वास्तव में है
हर घड़ी केवल कृष्ण का होकर सिद्ध करता है। दूर
हर सांसारिक पीड़ा से उसका विश्वास है कि कोई बात नहीं
आप अपने दैनिक जीवन में कितना कष्ट उठा रहे हैं, आप
उस विश्वास से बस एक कदम पीछे हैं जहाँ
कृष्ण आपके सब कुछ बन सकते हैं। कभी नहीँ
अपने किसी प्रियतम का साथ छोड़कर..., उसे
राइटअप आत्मा के वे मूक शब्द हैं।
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