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Kuch Khat / कुछ ख़त जो तुम्हारे नाम नहीं हो सके

Author Name: Jenny Griglani | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

इस पत्र-संग्रह में लेखिका ने एक रिश्ते के टूटने पर अधूरे जज़्बातों का जो सफ़र दोनों लोग कुछ वक्त तक करते हैं, उनमें से एक तरफ़ का हिस्सा पेश किया है । ये जज़्बातों का रोलर-कोस्टर कभी यादों में गहरा डूब रहा होगा तो कभी उनसे परे जाने की उम्मीद में लम्बी छलाँगे मारेगा । हर ख़त कुछ ऐसा कहेगा आपसे जो आप जानते नहीं थे कि आप भी किसी से कहना चाहते हैं । इनके ख़त तो जता ही देंगे इन्हें दिल को बांधना नहीं पसंद और इस संग्रह को पढ़कर आपका भी मन करेगा खुल के जीने को, दिल लगाने को ऐसी उम्मीद लेखिका रखती हैं ।

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जेनी ग्रिगलानी

गुजरात में पैदा हुई जेनी ग्रिगलानी ने १६ वर्ष की बाली उमर में लिखने को अपनी ज़िंदगी में अहम जगह दी थी । आज २३ वर्षीय बैंकर हमेशा ज़िंदगी के झूले के दो में से किसी एक चरम किनारे पर खुद को पाती हैं। यहाँ से वो हमेशा ज़िंदगी का संतुलन खोजती रहती हैं । अपनी सिंधी और गुजराती परवरिश से मिला व्यापारी दिमाग़ और अकादमी रुचि से जुड़ी नौकरी की दो विपरीत संभावनाओं के बीच डोलता मन इनकी ज़िंदगी के कई जुलों में से एक है जिसका संतुलन इन्हें कविताओं में धुंधला सा दिखाई पड़ता है । लिखना इनके लिए वो क्रिया है जिसमें ये अपना वक्त खर्च करना सबसे ज़्यादा पसंद करती हैं ।  

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