जिंदगी एक कठिन और सरल रास्ते की तरह है जहां कई रुकावट ऐसे भी आते हैं जिनसे हम कभी निकलने की सोचते ही नहीं क्योंकि कुछ रास्ते ऐसे भी होते जो भले ही तक़लीफ भरे हो पर उनकी करवाहत भी अपनी जैसी लगती है, ये कहानी भी उसी एक करवाहत की तरह है उन्हि रास्ते की तरह है जहाँ त्याग ही सपने है और नियम ही आदर्श और दौलत है
खैर ये बरेली की सड़क से जुड़कर बॉम्बे की सड़क तक जाती है जहां एक 16 साल के लड़के ने अपने परिवार को त्याग कर अपने सपने को चुनने की हिम्मत की जिसकी वजह से उसने वो भी खो दिया जो उसका था, ये कहानी उश गुप्ता परिवार की जहां अमर ने अपनी देहलिज इसलिए छोड़ी क्योंकि वो नहीं चाहता था कि कल होकर उसके छोटे भाईयो के सपने भी उन्ही पिंजरो में बंद होकर रह जाए जिसकी कुंजी किसी और के पास रहे |
खैर इस कहानी के रास्ते तब बदलते हैं जब अभिमन्यु जो की अमर का छोटा भाई फौज में भर्ती होता है और सौर्य के रूप में खुद के सपने भी कुचल देता है।