यह पुस्तक “मरासिम-ए-मोहब्बत
” मेरी कलम से ननकली हुई मेरे जज़्बातों की आवाज़ है । “मरार्सम- ए – मोहब्बत “ कादहंदी अथि है , “प्यार का ररश्ता” । इस पुस्तक में मेरी कुछ नज़्म , कववता , ग़ज़ल मौजूद हैं । आप सभी पाठकों को से तह ददल से ववनती है कृपया आप इसे ददल से पड़े और ददल से ही हौसला – अफजाई करें । आप यहां मौजूद मेरी कववता , नज़्म एवं ग़ज़लें पड़कर अपने जज़्बात से र्मल सकते हैं । बहुत बार ऐसा होता है , हमारी स्ज़ंदगी में घदटत होने वाली घटना एक जैसी होती है परंतु हम उसे शब्दो में वपरो कर बयां नही कर पाते । मुझे आशा है आप अपने उन घटनाओं को यहां मौजूद कववता , नज़्म एवं ग़ज़ल से समझ सकते हैं एवं बयां कर सकते हैं । मुझे आशा है , आप सभी अपना प्यार इस पुस्तक को ज़रूर देंगे एवं मेरे कलम की हौसला - अफजाई करेंगे