मर्द शब्द एक छोटा सा शब्द है लेकिन इस छोटे से शब्द के कितनी बड़ी जिम्मेदारी है ये शायद एक मर्द के अलावा कोई नहीं समझ सकता। समाज में हमेशा से ही मर्द को गलत ठहराया जाता रहा है। मर्द पर अपेक्षाओं और जिम्मेदारियों का बोझ डाला जाता रहा है। और मर्द उसे चुपचाप सहता रहा है। मर्द होना आयु पर निर्भर नहीं है या किसी दूसरे मापदंड पर। एक चौदह वर्ष का बच्चा भी तब मर्द बन जाता है जब घर की परिस्थितियों की वजह से बाहर कमाने निकलता है।
"मर्द की कहानी" संकलन हर उस बच्चे, जवान, बुजुर्ग को समर्पित है, जो अपनी जिम्मेदारियों के बोझ तले ज़िंदगी बीता रहा है और हार ना मानते हुए डटकर खड़ा है.. जीतने के लिए...।