मेरी इक्यावन कविताएँ शृंखला का यह चौथा भाग है। मेरी काव्य-यात्रा गतिमान है और लगता है गतिमान रहेगी यद्यपि मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। अधिकतर समय मेरा एक भिन्न प्रकार की मौन-साधना में ही व्यतीत होता है। चुपचाप बैठे रहना या लेट जाना यही क्रम रह गया है।
प्रकारांतर से देखा जाए तो मेरे पास समय ही समय है जो मेरे लेखन की आधार-शिला है।