उपोद्घात्
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मैंने अब यह नई काव्य-शृंखला "मेरी इक्यावन कविताएँ शृंखला ( भाग-०१ ) आरम्भ की है। आवरण पर हर बार कोई न कोई मेरी अपनी छवि ही रहा करेगी। इस से पूर्व मैं लगभग २२,००० से अधिक कविताएँ लिख चुका हूँ जिनमें दो पंक्ति, चार पंक्ति की रचनाएँ, क्षणिकाएँ, माहिया, कह मुकरी, लघु हाइकु, हाइकु आदि रचनाएँ सम्मिलित नहीं हैं, वे सब पृथक हैं। कभी अवकाश मिला तो उन सबके संकलन पृथक रूप से प्रकाशित करवाऊँगा।
आँखें तो जैसे लाल ध्वज ले कर विद्रोह पर उतारू हैं इस कारण से लेखन की गति बहुत धीमी चल रही है।
जैसी ईश्वरेच्छा!