"मुख़्तलिफ़ दायरा" किताब में तमाम लफ़्ज़ दुनिया के इर्द गिर्द रखे गए है यानि कि ज़िन्दगी हर एक मोड़ पर हमसे जुदा अंदाज़ में रूबरू होती है ! कभी भी पुराने लहजो के साथ हमसे नही मिलती, दुनिया में हर कोई एक दायरे में सिमटा पड़ा है उनके हाथों में उतना ही है जितना वक्त उनको दे रहा है इससे ज्यादा कुछ नही |