भूमिका - लगभग पाँच शताब्दियों के राजनीतिक इतिहास में परमारों का साम्राज्य मालवा के पूर्व में भोपाल क्षेत्र के विदिशा व उदयपुर, पश्चिम क्षेत्र में हरसोल, मोडासा, महुड़ी तक दक्षिण में नर्मदा तथा होशंगाबाद क्षेत्र एवं उत्तर में कोटा क्षेत्र तक विस्तारित था। परमारों की कुछ शाखाएँ तो राजस्थान में अबुत मण्डल, जालोर एवं बागड़ तक में अपनी राज्य सत्ता स्थापित करने में सफल हो गई थी।
परमार शासकों के आर्थिक कार्य के अन्तर्गत किले तथा महल निर्माण, दुर्ग निर्माण, सुरक्षा परकोटा निर्माण, कला केन्द्र निर्माण, नगर निर्माण, जल व्यवस्था, कृषि व्यवस्था, मुद्रा के लिये टकसाल, उघोग तथा धन्धे, प्रशासनिक विभाग तथा सुरक्षा व्यवस्था, न्याय व्यवस्था तथा मनोरजंन आदि को आर्थिक व्यवस्था में सम्मलित है।