यह कविता संग्रह विनयतोष मिश्र "चातक " के कविताओं का प्रथम संग्रह है। इस संग्रह में चुनिंदा १८ कविताओं को शामिल किया गया है। इस संग्रह की प्रथम दो कवितायेँ रवि -रजनी संवाद शीर्षक से हैं। रवि रजनी संवाद जहाँ उन दो प्रेमियों की व्यथा कहती है, जो मिल कर के भी नहीं मिल पाते वहीँ "एक बार प्रिये तुम आ जाना " कविता गोपियों के कृष्ण के प्रति निश्छल प्रेम को वर्णित करती है।इस संग्रह में संम्मिलित अन्य कवितायेँ समसामयिक विषयों के तरफ़ पाठक का ध्यानाकर्षित करतीं है। इन कविताओं में "प्रधानी की लूट" नामक कविता जहाँ समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार की बात करती है वहीँ "सोशल मीडिया की क्रांति" जैसी कविता अपने व्यंगात्मक शैली में सोशल मीडिया से होने वाले निष्क्रिय जीवन एवं अन्य खतरों से आगाह करती है।