इस काव्य-संकलन को मैंने युगल काव्य-संकलन कहना उचित समझा क्योंकि इसमें दो ही कवि सम्मिलित हैं— एक कवयित्री अंजू कालरा दासन "नलिनी" व दूसरा अधिवक्ता/कवि डॉ.विनय कुमार सिंघल अर्थात् मैं।
इस संकलन का नाम भी अनायास ही सूझा— "साँझ और सवेरा"। यहाँ साँझ का प्रतीक मैं हूँ और सवेरे की प्रतीक अंजू जी हैं।