नमस्कार दोस्तों मैं संदीप कुमार 'विश्वास' अपना यह दूसरा एकल संग्रह ‘सहित्य की नगरी’ अपने 'साहित्य' एवं अपने समस्त साहित्य प्रेमियों को और अपने रेणु गाँव औराही हिंगना को समर्पित करता हूँ। यह मेरा दुसरा एकल संग्रह है, मैनें इस एकल संग्रह का नाम ‘साहित्य की नगरी’ इसलिए रखा क्योंकि मेरा गाँव अमरकथा शिल्पी 'फणीश्वरनाथ रेणु' जी का गाँव है। इसी गाँव में 'रेणु जी' के 'साहित्य' का सृजन हुआ था। यह गाँव साहित्य प्रेमियों के लिए एक प्रकार का तीर्थ-धाम भी है। इस नगरी को देखने के लिए विदेशों से बड़े-बड़े 'साहित्यकार लोग' भी आते हैं जैसे अमेरिका, रूस, जापान आदि। मेरे गाँव के चारों तरफ़ हरे-भरे खेत हैं, यहाँ के अधिकतर किसान मूँगफली और धान की खेती करते हैं। मुझे साहित्य से और सभी साहित्यकारों से बहुत ज़्यादा लगाव है। क्योंकि मुझे मेरे कई सारे साहित्यकार मित्रों ने मेरे लेखन कृत्य में सदैव मेरा मार्गदर्शन किया है उनमें से सबसे ज़्यादा मार्गदर्शन करती हैं मेरा जो वो हैं मेरी सबसे प्यारी सहित्यकारा दीदी रौशनी अरोड़ा 'रश्मि' जी। मेरी यह पुस्तक मैं अपने माता-पिता की सेवा करते हुए, समस्त 'साहित्य प्रेमियों' को तथा अपने 'गाँव-वासियों' को समर्पित करता हूँ। आशा करता हूँ आप सभी पाठकों को मेरा ये दूसरा एकल संग्रह ‘साहित्य की नगरी’ बेहद पसंद आएगा। अपना स्नेह सदैव बनाए राखिएगा। धन्यवाद!