साहित्य समाज का दर्पण होता है, जिसमें विविध सामाजिक समस्याएं प्रतिबिंबित होती है। साहित्य समाज की विसंगतियों को उद्घाटित कराके बदलते हुये सामाजिक मूल्यों के प्रति लोकमानस को आकर्षित करती हैं। यही जनकल्याण की प्रवृत्ति साहित्य को सार्थकता प्रदान करती है। जीवन के प्रति व्यापक सकारात्मक दृष्टिकोण, अनुभूति की गहनता, मानवीय उत्थान के प्रति अटूट आस्था, महान लक्ष्य से केन्द्रित साहित्य निश्चित ही अपना शाश्वत मूल्य रखता है।