किसी ने सच ही कहा है, दुनिया की सबसे सुन्दर वार्तालाप माँ और उसके नौनिहाल के बीच होती है। बच्चा जब अपनी तोतली आवाज में "माँ" बोलता है तो ऐसा लगता है कि एक नई संगीत फूट पड़ी हो, जिसे सुन "माँ" का हृदय अत्यधिक ही सुकून पाता है। मेरा मानना है कि बच्चे की तोतली आवाज में निकला "माँ" शब्द दुनिया की सबसे सुन्दर, सटीक एवं सजीव कविता है।
कविता अपने आप में कभी पूर्ण नहीं होती है, उसे पूर्ण बनाता है; पाठक! पाठक जब उसे पढ़ता है, उस कविता के हर्फ- दर-हर्फ को अपने जीवन से जोड़ने की कोशिश करता है, अपने अनुभवों में उसे ढूँढने की कोशिश करता है, उसे आत्मसात करता है; कविता तब ज्यादा सफल मानी जाती है। कोई भी कविता सिर्फ शब्दों, वाक्यांशों, अक्षरों और वर्णमालाओं से नहीं बनती है, अपितु यह भावनाओं का एक जीवंत संग्रह होती है, जो कवि के अंत: से निकलकर पाठक के मन में समा जाती है।