सुधी पाठक गण,
आपके समक्ष मै अपना प्रथम स्वतंत्र एकल कविता संग्रह “सृजन की साधना” प्रस्तुत कर रहा हूं।
कविता भावों का वह स्पंदन है जो मानवीय अन्तर्मन के मनोभावों से स्वतः प्रस्फुटित और मुखरित होती है,। मुखर भावों को जब तूलिका समेटकर चितेरे के अन्तर्भाव उदघाटित करती है तो एक कलात्मकता पूर्ण चित्र बनता है, जो समाज की व्यथा कथा को मूक वाणी से चित्रित करती है।