स्त्री जीवन के कई स्वरूप हैं, जिनके मिलने से ही वह सम्पूर्ण हो सकती है। कोई भी एक हिस्सा छीन लिए जाने से वो अधूरी हो जाती है। नारी जीवन के पहलुओं को संयुक्त किए हुए यह काव्य संकलन है, “स्त्री”।
यह संकलन एक सफर है, स्त्री जीवन के संघर्षों का, हर मुश्किल में उसकी हिम्मत और उम्मीद का, रिश्तों में उसके समर्पण और विश्वास का। दुनिया की नापाक भीड़ में वो खुद को कैसे बचाए और संभाले रखती है, कीचड़ में रह कर भी कमल बने रहने की उसकी कोशिश इन कविताओं में है। इस सफ़र में अनकहे जज्बातों का ज़िक्र है, और सवाल है कि स्त्री को अगर कोई समझ नहीं पाया, तो आखिर क्यूं?