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To Culture / संस्कृति की ओर

Author Name: Ramta Sharma | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

पुरूष पौरूषत्त्व खो रहा है, स्त्री का स्त्रीत्त्व माँ का ममत्त्व चट हो गया पिता का पितृत्त्व क्षीण हो चला राम लक्षण से भ्रातृत्त्व को मानने वाली संस्कृति भ्रात्तृहन्ता हो गई । 

स्त्री की लज्जा ने स्वच्छंदता का रूप ले लिया जिस देह को सूर्य-चन्द्र भी बमुश्किल देख पाते थे, उसे इंस्ट्रा जैसी साइट पर आम संभ्रांत महिलायें प्रदर्शित कर रही है । शील व संयम हवा हो गया है । 

आज सीता-सावित्री की संस्कृति में घर-घर रंभा मेनका बनने जा रही है । 

स्वतंत्रता के नाम पर नैतिकता व मूल्यों का होता पतन कवियत्री को भीतर तक झकझोर गया । 

आज शिक्षक, शिक्षक नही रहा, भक्षक हो गया । चिकित्सक धन हेतु यमराज हो गया । नौकर स्वामिभक्त न होकर घर का भेदी बन लंका ढ़ा रहा है । 

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रमता शर्मा

कवियत्री रमता शर्मा इनका जन्म 11 अगस्त, 1971 को कस्बा-आबूरोड़, तहसील – आबूरोड़, जिला –सिरोही राजस्थान में हुआ व उच्च शिक्षा अध्ययन के पश्चात राजकीय सेवा में कार्यरत है अध्यापिका की सेवा के साथ-साथ  समाज में व्याप्त कुरीतियों, विसंगतियों के खिलाफ समाज में जागृति पैदा करने का भी काम कर रही है साहित्य के क्षेत्र में इनकी पूर्व में भी पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका  है ।

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