‘टुकड़े-टुकड़े सच’ डॉ. मनोज कुलश्रेष्ठ द्वारा 40 वर्षों की अवधि में लिखी गई कविताओं का संग्रह है। ये कविताएँ किशोरावस्था से शुरू होकर सेवानिवृत्त होने तक की उनकी जीवन-यात्रा दर्शाती हैं। यह यात्रा जीवन की अशांति, प्रेम और पीड़ा, दर्द और अलगाव से गुज़रते हुए ... अस्तित्व के अर्थ की उनकी खोज को रेखांकित करती है। कई संवेदनशील व्यक्ति, जो जीवन की उथल-पुथल, उसकी पीड़ा और इन भावनाएं से गुज़रे हैं ... शायद इन कविताओं में खुद को देख सकें। एक तरह से कविताओं का यह संकलन उनका अपने-आप को तलाशने और संजोने का प्रयास है।
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