जब बहुत आशाएं आदमी से दूर है जाती है तो दोबारा उम्मीद बनी रहती है उसे पाने की है। बहुत बड़ी-बड़ी दर्द -गम -तमन्ना -आए -आज की आदमी के भीतर जन्म लेती हैं, तो वह एक उम्मीद भी बना के रखना है। इस उपन्यास को मैंने अपनी कॉलेज लाइफ के दौरान लिखा था तब मैं जवान था- मेरे अंदर कुछ हसरतें थी। सब कुछ कुछ अरमान थे सब कुछ मेरे अनुभव के ऊपर भी निर्भर करता था - आसपास के वातावरण - और एक सोच भी जन्म लेती थी -सचिन लाइफ थी कुछ अच्छे थे कुछ बुरे थे। उसी जीवन के आधार पर उम्मीद लगाई जाती थी, सोचा जाता था - क्या है - क्या करें, ऐसा जीवन जिया जाए तो भविष्य में क्या होगा।
क्योंकि उसे समय हम जवान थे हमारे ख्याल भी जवान थे तो हम उसे अनुभव को लेकर भी चलते थे- समय के साथ अनुभव बदल चुका है- आज कुछ हो - फिर भी यह एक फिल्मी स्टोरी सी लगती है - वह एक सांस्कृतिक लड़की थी -उसका फ्रेंड भी एक उच्च घराने से लड़का था - कॉलेज के बदमाशों ने उसके साथ जो हरकत कि दोनों की जिंदगी बदल गई।
आप उपन्यास पड़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि दोनों के पास कोई और रास्ता नहीं था -अरे आखिर में जब वह मिले तो लगा उनकी उम्मीदें जाग चुकी है और उनके जिंदगी में दीप जल चुके हैं। आप इसे पढ़िए अच्छा लगे तो हमसे संपर्क भी करें।