जिंदगी क्या देती है , जिंदगी क्या क्या दे सकती है ! और जिंदगी कितनी बड़ी है ---
जिंदगी क्या देती है - जैसे ही हम खुद को देखते हैं इसका पता लग जाता है । जिंदगी क्या दे सकती है , यह तब पता चलता है जब हम ज़िदगी से कुछ मांगते हैं । और यह जो तीसरा सवाल जिंदगी कितनी बड़ी है इसका पता बड़ी मुश्किल से चलता है ।
जिंदगी कितनी बड़ी है इसका पता तब चलता है जब जिंदगी वरदान देती है । बड़ी अजीब सी बात कह रहा हूँ , आपको आपकी जिंदगी से अलग कर रहा हूँ । इतना ही नहीं जैसे ही आप इस खयाल में डूबते हैं , तो लगता है दूर तो अब तक थे , आप अपनी ही जिंदगी से , अब उसके करीब आ गए हैं । दरअसल आप और आपकी जिंदगी एक ही है , बस अभी तक आप कभी अपनी जिंदगी में डूबे ही नहीं । और जैसे ही जिंदगी में डूबे कि आप , आप रहे ही नहीं । इतना ही तो जिंदगी का वरदान है कि आप और आपकी जिंदगी एक हो जाये ।
भ्रम
तुम
ख्वाब हो कि
हकीकत ,
यह भ्रम ताउम्र बना रहा,
और मैं जिंदगी को ख्वाब,
और ख्वाब को ,
जिंदगी समझ कर जी गया।
यह किताब आपको आपसे ही मिलवाती है ।
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