"योग सागर: कविताओं में आसन, प्राणायाम, और ध्यान" एक अद्भुत काव्यसंग्रह है जो योग की गहरी समझ और उसकी साधना को कविताओं के रूप में प्रस्तुत करता है। यह संग्रह योग के शास्त्रों, आसनों, प्राणायाम और ध्यान के विविध पहलुओं को सरल और प्रभावी रूप से दर्शाता है। प्रत्येक कविता आपको आत्मा की शांति, मानसिक संतुलन और शारीरिक सशक्तिकरण की यात्रा पर ले जाएगी। डॉ. मुकेश अग्रवाल की यह काव्यरचनाएँ योग के गूढ़ रहस्यों को उजागर करती हैं, और जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन पाने के लिए प्रेरित करती हैं।
मुख्य बिंदु:
1. योग के शास्त्रों की सरल व्याख्या
2. आसन, प्राणायाम और ध्यान पर कविताएँ
3. शारीरिक और मानसिक सशक्तिकरण की गहरी समझ
4. प्रमुख योगियों और उनके योगदान पर आधारित कविताएँ
5. जीवन में संतुलन और शांति के लिए प्रेरणा
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