“किसी असीम आकाश में…
जगमगाता सूरज नहीं मैं तो क्या,
एक टिम – टिमाता दीपक ही सही!
नहीं रोशन मुझसे ये संसार तो क्या,
है मुझसे उजागर एक कुटिया तो कहीं!”
यह पंक्तियां आपने “अनुभवों का गुलदस्ता “ की “अस्तित्व” कविता में पढ़ी और सुनी भी है। उल्लेख करने का उद्देश्य यह है कि इसी विषय को इस कविता संग्रह “अस्तित्व एक खोज” में विस्तार से लिया गया है। यह कविताएं प्रेरणादायक हैं।
सभी रचनाएं आप सभी के लिए है। यहां हम किसी एक के अस्तित्व की बात नहीं कर रहे, अपितु यह प्रवास है प्रत्येक का। हमें सभी के होने का आभास करना है फिर वह स्त्री है या पुरूष, या वह भी जो इनमें से कोई नहीं। जो भी इस संग्रह को पढ़े या सुने, उसे कोई न कोई रचना अपनी ही मन की बात लगे, यही ईश्वर चरण प्रार्थना।
कवयित्री सविता पाटील जी की इससे पहले प्रकाशित दो कविता संग्रह "अनुभवों का गुलदस्ता "(2019) और "प्रेरणा और प्रयास" (2021) से पाठक और श्रोता गण अवगत हैं। आशा है, आप तक यह सारी भावनाएं भी पहुंच पायेंगी। यह संग्रह आप सभी पाठकों और श्रोताओं को अर्पित है। सहृदय स्वीकार करें।