You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palयह किताब एक बेटी की अपने पिता के प्रति अपने प्रेम के बारेमें है। एक बेटी अपने पिता से दूर होकर भी उनके पास ही है, हमेशा उनके साथ है, पिता के महत्व क्या है, यह बात लेखिका बताना चाहती हैं। एक बेटी अपने पिता के बारेमें क्या सोचती है, एक पिता का उसकी जिंदगी में होना कितना जरूरी होता है, एक पिता ही है जो उसके हर पल उसके साथ होते हैं यही बात एक बेटी अपनी बाबा के प्रति बताना चाहती है। अगर माँ बाबा का अस्तित्व हो तो कामयाबी हमेशा साथ होती है, यह इस किताब से स्पष्ट हो रहा हैं।
अपने बाबा के सपने के प्रति एक बेटी अपने सपनों को एकतरफ रख उनकी इच्छा पुरी करती है। पिता जो समर्पण का नाम होता है, उनके इस स्वभाव को अपने शब्दो में लेखिका ने अपने विचार प्रकट किए है।।
वैष्णवी प्रभु सार्वे
यह वैष्णवी प्रभु सार्वे है, यह एक लेखिका हैं। यह भारत के महाराष्ट्र राज्य से है और अभी ११वी कक्षा मैं है। यह अपनी कविता, कहानियां और सुविचार लिखती है। अबतक इन्होंने ३ किताबों में अपनी कविताएं प्रकाशित की है। यह एक बेहतरीन लेखिका है, इनकी कविताएं अक्सर सत्य पर आधारित होती हैं। लिखने के लिए उम्रका कोई मोल नही होता,अगर जज़्बात सच्चे हो तो बच्चा भी प्रयास कर सकता है। कलाकर को अपनी कला का ज्ञात हो तो वो उसमे महाराथ हासिल कर सकता हैं। बस खुद पर भरोसा होना चाहिए यह इनका मानना है। व्यक्ति में विश्वास और प्रेम हो तो हर असंभव लगने वाली चीज संभव होती है। एक कलाकार अपने कला के वजह से ही प्रसिद्ध नही होता, वो प्रसिद्ध होता अपनी मेहनत और आपके साथ की वजह से।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.