यह किताब एक बेटी की अपने पिता के प्रति अपने प्रेम के बारेमें है। एक बेटी अपने पिता से दूर होकर भी उनके पास ही है, हमेशा उनके साथ है, पिता के महत्व क्या है, यह बात लेखिका बताना चाहती हैं। एक बेटी अपने पिता के बारेमें क्या सोचती है, एक पिता का उसकी जिंदगी में होना कितना जरूरी होता है, एक पिता ही है जो उसके हर पल उसके साथ होते हैं यही बात एक बेटी अपनी बाबा के प्रति बताना चाहती है। अगर माँ बाबा का अस्तित्व हो तो कामयाबी हमेशा साथ होती है, यह इस किताब से स्पष्ट हो रहा हैं।
अपने बाबा के सपने के प्रति एक बेटी अपने सपनों को एकतरफ रख उनकी इच्छा पुरी करती है। पिता जो समर्पण का नाम होता है, उनके इस स्वभाव को अपने शब्दो में लेखिका ने अपने विचार प्रकट किए है।।