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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palजीवन के कई चरण होते हैं और ये चरण कभी-कभी क्रोध, अवसाद, प्रश्नों से भरे होते हैं जो हम अपने निर्माता के अलावा किसी से नहीं पूछ सकते जिन्होंने सब कुछ बनाया है।
यदि आप खालीपन महसूस करते हैं और अपने जीवन का अर्थ नहीं देख सकते हैं या महसूस करते हैं कि आपके आस-पास की हर चीज किसी भी तरह से नहीं जुड़ती है और आप यह सब खुद निर्माता से पूछना चाहते हैं तो यह पुस्तक आपको इसे पढ़ने की अनुमति देती है और आप तैयार हैं। यह आपकी ओर आपकी यात्रा होगी - आंतरिक स्व कि यात्रा।
रूपाली चौहान
लेखिका
रूपाली ने 12 साल की उमर से सूफी कविताओं को लिखना शुरू किया और काई लोगो को सुनायी भी और आज उन्हें लिखते हुए काई साल हो गए हैं। इन वक्त मैं उन्होंने अपने ज्ञान और ध्यान से बहुत लोगो की सहायता करी, जिन्न लोगो ने उनके समरोह देखे उनका कहना हैं की उन्हें एक नई रोशनी मिली, आगे बढ़ने की प्रेरणा और कुछ लोगो को अनकहे सवालो के जवाब मिले इन कविताओ मैं।
ये सब कविताये ध्यान मैं लिखी गई हैं और उनमें से किसी भी कविता को बदला नहीं गया, सब शब्द जैसा खुद ईश्वर की आवाज से आए हो जैसे। रूपाली का कहना हैं की जब वो लिखती हैं तो बोल नहीं सकती, क्युकी ईश्वर की आवाज खुद उन्हें शब्दों के मोती पिरोने मैं मदद करती हैं।
उन्होंने अपनी कविताओ मैं फारसी, अरबी, हिंदी, पंजाबी, उर्दू भाषा के शब्द का इस्तेमाल किया, उनकी इन अनमोल कविताओ को सुनके हर इंसान हैंरान इसी लिए हो जाता हैं क्योंकि रूपाली के अनुसार वो उर्दू, अरबी या फ़ारसी भाषा का ज्ञान नहीं रखती।
लेकिन फिर मन उनकी इस बात को मानने को मजबूर हो जाता हैं की
"आत्मा का ज्ञान असीम हैं,
जिसका कोई अंत नहीं, जो अनंत हैं"
इस बुक मैं अध्यात्म के हर चरण में आने वाली हर गहरी सोच के जवाब हैं ।
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