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Do June Ki Roti / दो जून की रोटी

Author Name: Nikhil Jain, Ajay Kumar Dwivedi | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

दो जून की रोटी

मजदूर वर्ग हमारे देश का वो हिस्सा है जिस पर देश की नींव, देश की बुनियाद टिकी हुई है। किसी भी देश की उन्नति का आधार ये मजदूर वर्ग ही है जैसे एक शरीर को यथावत सुचारु रूप से चलाने के लिए हृदय का निरंतर कार्य करना सर्वाधिक आवश्यक है उसी प्रकार मजदूर वर्ग किसी भी देश में हृदय के रूप से निरंतर कार्य करने को अग्रसर रहता है इनके रुकने का अर्थ है देश की प्रगति में रोड़ा आ जाना, किंतु इसी वर्ग को अपने अधिकारों से वंचित रखा गया, कितने ही परिश्रम के उपरांत भी इस वर्ग को उसका हक पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं हो पाया। दो जून की रोटी में मजदूर वर्ग की वेदना, पीड़ा का मार्मिक वर्णन किया गया है, तानाशाह वाले समाज में उनकी स्तिथि को दर्शाने का मूल ध्येय उनके हक के अधिकारों को उन्हें दिलवाना और उनकी भीतरी परिस्थितियों को समाज के सामने लाना ही है। इस पुस्तक के माध्यम से यदि मजदूर वर्ग की स्तिथि में लेश मात्र भी सुधार आता है तो ये पुस्तक का संयोजन अपना मूल ध्येय प्राप्ति में सफल होगा।। 

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निखिल जैन, अजय कुमार द्विवेदी

निखिल जैन, एक लेखक हैं, जो की धुले, महाराष्ट्र से संबंध रखते है। इन्हे अपना ज्ञान दूसरो के साथ साझा करना, यात्रा करना, नई नई खोज करना और रचनात्मकता का बेहद शौक रखते है। इन्हें लिखना पसंद है, और इनका मानना है, कि लेखन से हम अपनी आंतरिक भावनाओं का भली भांति बखान कर सकते है। ये 30 से अधिक पुस्तकों के संकलनकर्ता रह चुके है और इनके स्वयं के दो  ऑनलाइन प्रकाशन "Unité Publication" और love.vibes143 भी है। इनसे जुड़ने के लिए आप संपर्क कर सकते हैं इंस्टाग्राम :  @love.vibes143, ईमेल -love.vibes143@outlook.com

अजय कुमार द्विवेदी, कानपुर से संबंध रखते हैं। ये मर्चेंट नेवी में कार्यरत रहे हैं, और वर्तमान में राजनीति में सक्रिय हैं, एवं अपने नये प्रोजेक्ट में कार्यरत हैं। ये अब तक अलग अलग कार्यक्रमों को आयोजित करवा चुके हैं, जिसमें कोरोना वॉरियर निशुल्क कविता प्रतियोगिता एवं भारतीय सैनिकों के अभिनंदन में निशुल्क कविता प्रतियोगिता मुख्य रही। इसके अलावा आर्ट में भी अभिरुचि रखने वाले अजय प्रदेश स्तरीय लेवल तक प्रतियोगिता में जा चुके हैं, एवं 12 से अधिक देशों एवं भारत ले के राज्यों में यात्रा कर चुके हैं। समाजसेवा को अपना कर्म मानते हुए हिंदी भाषा लेखन को जन जन तक पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं।।

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