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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palफर्श से अर्श तक जाने का मकसद केवल ऊंचाइयों को छूना ही नहीं बल्कि हरेक परेशानियों को निगलते हुए उस अर्श को छू लेने से है, जो कि फर्श से कोसों दूर है।
मुश्किलें परेशानियां दुःख और तकलीफ तो हर मंज़िल की खूबसूरती हैं,बस उसी कांटों भरी खूबसूरत सी - मंज़िल को सबसे छिनकर अपना बनाना और हथियाना है। और उस अर्श की चोटी पर चढ़कर ही दम लेना है।
क्योंकि, किसी भी हालात में जाना है बस
फर्श से अर्श तक।
शालू वर्मा
कवियत्री शालू वर्मा का जन्म आजमगढ़ के रुकमलपुर गांव में 14 फरवरी सन 2001 को हुआ इनका पालन- पोषण एक सामान्य परिवार में हुआ | इनके पिताजी बाईक मकैनिक हैं और माता जी गृहणी हैं| इनकी शिक्षा- दीक्षा दिल्ली के सरकारी स्कूल जगत विद्या सनातन धर्म विद्यालय से पूरी हुई | और कालेज की पढ़ाई (राजधानी कालेज) दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूरी हुई है| पढ़ाई के साथ- साथ यह खेल-कूद में भी अत्यधिक रूचि रखती थीं और यह( मार्शल आर्ट) राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी भी रह चुकी हैं| अभी भी खेल- कूद आदि क्रियाकलापों में बढ़- चढ़कर भाग लेती हैं| और अन्य पुरस्कार अपने नाम करती हैं|
इन्हें बचपन से ही पढ़ने और लिखने का बहुत शौक था शुरू से ही किसी भी वस्तु के विषय में सोच- विचार करना मानो आदत हो गई हो बस यही सबसे बड़ी एक वजह है जिसके कारण यह खुद को लेखक मानती हैं| और अपनी सोच- विचार की शक्ति को लेखनी का सबसे बड़ा हथियार मानती हैं|
"कौन है किसका यहां ,
और कौन टिक सकता है यहां |
यह बाज़ी वही खेल सकता है यहां,
जो फर्श से अर्श को छू सकता है यहां ||"
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