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Fir Kab Aaoge Krishna / फिर कब आओगे कृष्णा

Author Name: Sunil Chandra Punetha | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

भगवान श्री कृष्ण के उपदेश जो श्रीमदभगवद्‌ गीता के रूप में संकलित हैं। सम्पूर्ण मावन जाति को एक ऐसे मार्ग को ले चलने को प्रेरित करते हैं, जो उन्हे सत्य के मार्ग का पथिक बना सके। उन्होंने सम्पूर्ण भगवदगीता में जितना आध्यात्मिक ज्ञान दिया है, उतना ही व्यवहारिक ज्ञान भी दिया है। इस छोटे से उपन्यास में लेखक ने श्रीमदभगवद्‌ गीता के कुछ श्लोकों को लेकर अपनी कल्पना से हिन्दू समाज में फैली जाति प्रथा की सामजिक बुराई का उजागर करने का प्रयास किया है। संम्भवत: भगवान श्री कृष्ण का भी यही मंतव्य रहा होगा । किसी के हृदय को ठेस पहुँचे लेखक का कोई ऐसा विचार नही है। अपितु भगवान श्री कृष्ण की वाणी को अपनी कल्पना के आधार पर उपन्यास का लेखन ही लेखक की प्राथमिकता है | 

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सुनील चन्द्र पुनेठा

मै कोई साहित्यकार या उपन्यासकार नही हूँ। ना मैने कभी ऐसा पहले कभी प्रयास किया है। ये उपन्यास मेरा लेखक के रूप में प्रथम प्रयास है। लेखक के रूप मे मेरी कोई पहचान साहित्य जगत में नही हैं। पेशे से मै व्यवसायी हूँ , परन्तु श्रीमदभगवद्‌ गीता के थोड़े बहुत अध्ययन से मुझे ऐसा लगा कि हिन्दू समाज को आवश्यक रूप से श्रीमदभगवद्‌ गीता का पठन और मनन अवश्य करना चाहिये। श्रीमदभगवद्‌ गीता के पठन और मनन से मेरे अन्दर जो भाव उदय हुये उसे मैने अपनी कल्पना के अनुसार लिख लिये। मै मानता हूँ कि मैने ये उपन्यास स्वंय के बुद्धि कौशल से नही लिखा है, मै लिख भी नही सकता हूँ। ये सब भगवान श्री कृष्ण की कृपा है।

 

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